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संयोग मुम्बई की एक सच्ची प्रेम कथा है। अपने सपनों को सच कर दिखाने के लिए, एक छोटे से गाँव का रहने वाला यश, सपनों की मायानगरी मुंबई पहुँचा। हकीकत की दुनिया से रुबरू हुआ तो उसे एहसास हुआ कि इस अनजान शहर में दौलत, शोहरत और रुतबा कमाना इतना आसान नहीं है। कई दिन भूखे पेट सोने के बाद उसे एक सपनों के सौदागर का साथ मिला। राह उसने बताई और सफ़र वह खुद अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से तय किया। इसी बीच उसे एक काॅलेज में पढ़ने वाली हसीन और बेहद ही खूबसूरत लड़की प्रतिमा से प्यार हो गया। यह न सिर्फ यश के, बल्कि प्रतिमा के भी जीवन का पहला प्यार था। कहते हैं दीवानगी की कोई हद नहीं होती, क्योंकि यह बेहद खूबसूरत होती है और अगर किसी को पाने की सच्ची चाहत हो तो, उसे मिलाने को पूरी कायनात भी साज़िश रचती है, लेकिन संयोग तो कुछ और ही था। दिल को छू लेने वाली, कभी भी न भूलने वाली, इस मोहब्बत की यादगार दास्तान में एक दिन अचानक ऐसा क्या हो जाता है कि जिसकी उन दोनों ने कभी कल्पना भी न की थी।
यश यादव एक लेखक व प्रेरक वक्ता हैं। विद्यार्थी जीवन पर आधारित इनकी दो पुस्तकों की बीस हजार से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। एक ओर जहां इनकी कर्मभूमि सपनों का शहर मुंबई है, तो वहीं दूसरी ओर इनकी जन्मभूमि उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले के अन्तर्गत एक छोटा सा गाँव कुसौड़ा है। भारत की बहु राष्ट्रीय संस्थाओं में एक लम्बे अनुभव के बाद वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक वेब पोर्टल www.storymirror.com के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं।