We will fetch book names as per the search key...
Seller | Price | |
---|---|---|
StoryMirror Best price | ₹130 | |
Amazon | Price not available | |
Flipkart | Price not available |
यह पुस्तक ज़िन्दगी के हमारे जज़्बातों, तजुर्बों और कल्पनाओं के आधार पर लिखी गयी है। हम कहते हैं कि ज़िन्दगी हमें कई रंग दिखाती हैं और उन्हीं में से कुछ रंग हमारे जज़्बातों या भावनाओं के भी होते हैं। ये भावनाएँ चाहे प्यार-मोहब्बत हो, दुःख या तन्हाई हो या ज़िन्दगी के उतार-चढाव से जुड़ी हो या लड़ने वाली हो हौसलों से। ये भावनाएँ ही हमें कई रंग दिखाती हैं जिनके बग़ैर हमारी ज़ीस्त, हमारे ज़िन्दगी जीने के तरीके और हम खुद अधूरे होते हैं।
यह पुस्तक आपको वह हर रंग दिखाएगी जो किसी भी आम इंसान की ज़िन्दगी में होता है या हो सकता है। कुछ कविताएँ आपको प्यार के रंगों से मिलाएगी, कुछ रिश्तों की एहमियत से जुड़ी होगी, कुछ तन्हाइयों के ग़म से मिलवाएगी और कुछ आपको जीने का हौसला भी दिलाएगी। हमारी ज़ीस्त, हमारा वजूद इन सभी रंगों से है, ये सारे रंग हैं तो हम है और अगर न हो तो कुछ भी नहीं।
मार्च के २४ तरीक, १९९२ में U.A.E के मशहूर शहर दुबई में जन्मे और पले-बढ़े थे शोमीत साहा। शोमीत ने अपनी पढ़ाई दुबई में ही की थी। शोमीत की संगीत की चाहत अपनी परिवार से ही हुई थी, पिताजी श्री. दीपेन कुमार साहा जो गिटार बजाय करते थे, और माताजी श्रीमती काजल साहा जो रबिन्द्र संगीत सिखाती थी। शोमीत की कविताओं से वाक़िफ़ होने का शुरू हुआ था १०थ की कक्षा में, जिस उम्र में बोर्ड एक्साम्स की टेंशन रहती थी सब को, शोमीत को उसी उम्र में कविताओं का साथ मिला, भले ही वह ज़्यादा किताबे न पढ़ते हो पर लिख के अपनी बातें बयान करने का ये अंदाज़, शब्दों की बनावटें पसंद आने लगी।
ज़िन्दगी बढ़ती गयी, वक़्त बदलते गए पर शोमीत की चाहत और बढ़ती गयी। २५ साल के उम्र में जब उन्हें अपने माता-पिता के साथ भारत वापस आना पारा कुछ पारिवारिक कारणों से, एक अलग दुनिया, एक अलग सोच, एक ज़माने से तआरुफ़ हुए शोमीत जिसे समझने ने में और जिससे समायोजित होने में काफी वक़्त लगा. इसी समयोजिटगी में उनके साथ रही ख़ामोशी। यही ख़ामोशी जब फिर पन्नों में उतर आयी तोह शोमीत ने फिर से कविताओं की दुनिया में कदम रखा और उनकी चाहत बढ़ती गयी।
इसी बहाने उनके सामने आयी कुछ मशहूर कवियों / शायरों के कुछ कलाम जो और भी उसे उत्साहने लगे। डॉ. रहत इन्दोरी , जॉन एलिया, पाउलो कोएल्हो, मीर ताकि मीर की कवितायेँ शोमीत को बोहोत पसंद आने लगे और आहिस्ते आहिस्ते सीख ने लगे की किस तरह लव्ज़ों को सजाया जा सके और उनकी मफ़हूम किस तरह और प्रसिद्ध हो सके। शोमीत आज एक म.बी.ए है फाइनेंस में और इबम हैदराबाद में काम करते है। पर आज भी उनकी कविताओं की चाहत और उन्हें लिखने की चाहत आज भी बेकरार है और बरक़रार रखना चाहते है।