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कही-अनकही लघुकथाएं (Kahi Ankahi Laghukathae)

★★★★★
Author | संजय पठाड़े ‘‘शेष’’ Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789388698160 Pages | 100
PAPERBACK
₹125

About The Book : 


इस पुस्तक को अगर गागर में सागर कहा जाये तो ज्यादा अच्छा होगा. पुस्तक में लिखी गई सभी लघुकथाएं एक से बढ़कर एक हैं. हर लघुकथा एक संदेश देती हैं. जीवन को ऊंचा उठाने वाली सभी लघुकथाएं आज के परिवेश पर एकदम सटीक बैठती हैं. यह भी सच है कि आज का दौर लघुकथाओं का दौर है,और इसे संजय पठाड़े "शेष" ने बखूबी निभाया है. कही-अनकही लघुकथाएं आप के मन - मस्तिष्क पर एक गहरी छाप छोड़ती हैं



About The Author: 

संजय पठाड़े ‘‘शेष’’ को पढ़ने का शौक बचपन से रहा है, तीस बरस से लेखन में सक्रिय, व्यंग्य इनकी प्रमुख विधा है। राष्ट्रीय स्तर पर पर इनके व्यंग्य, व्यंग्य क्षणिकाएं आदि प्रकाशित हुए हैं। अनेक विधाओं में लेखन, लेकिन लघुकथा विधा में यह इनकी यह पहली किताब है। वर्तमान में भोपाल से प्रकाशित लघुकथा वृत मासिक समाचार पत्र के उप संपादक के साथ ही लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल की कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं।








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