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अहमदाबाद को गुजराती में अमदावाद कहा जाता है। ये कहानी गुजरात के प्रसिद्ध शहर अहमदाबाद में नए नए रहने आए उत्तरी भारतीय युवक सुशील और सरिता की है। पूरी कहानी इनही दो किरदारों के इर्द गिर्द घूमती है। तबादलों के चलते सुशील अमदावाद आता है। ओर उसके साथ उसकी पत्नी जो एक सकुशल ग्रहणी है ओर उनकी १३ माह की छोटी बच्ची।
सरिता और सुशील एक घरोंदे से निकल दूसरे घरोंदें को अपना संसार बनाने की चाहत लिए हैं। नयी जगह नए माहोल में ख़ुद को ढालने में वक़्त लग ही जाता है। जैसे नयी दुल्हन को अपने ससुराल को समझने में। नए वातावरण में अलग सोच, अलग रीति रिवाज अलग खानपान लिए में जो भी परेशानियों का सामना उन दोनो को करना पड़ा था। उनके साथ घटित घटनायों को क़लम देने की ये मेरी कोशिश है। आशा करती हूँ मेरा ये पहला प्रयास आपको पसंद आएगा।
तो आईये पड़ते हैं ‘अमदावाद’।
सोनिया महाजन ३४ वर्षीया (शिक्षा MCA), ज़िला जालंधर में जन्मी, पेशे से सर्टिफ़ाइड योगा शिक्षिका हैं। जिनको क़ुदरत को निहारना, उसमें खो जाना बहुत पसंद है। जिसकी वजह से घूमना नयी जगह नए लोग क़ुदरत का नया रूप देखना भाता है। वो क़ुदरत को अपने जज़्बात के धागों में पिरो लेना चाहती है।
ज़िंदगी ‘क’अक्षर से जुड़ी है कन्या, क़ुदरत,कायनात ,कैन्वस,कैमरा, क़लम इनही का समावेश है इनका जीवन। दोस्तों की प्रिय और दोस्ती सर्वोपरि का भाव लिए ज़िंदगी ज़िंदादिली से जीती हैं। पंजाब, दिल्ली, हरियाणा,गुजरात, आंध्रा प्रदेश ,महाराष्ट्र को बहुत क़रीब से जाना है और वहाँ रहती नारी की व्यथा को भी ।
इनही विचारों ने , भावों ने उन्हें अपनी पहली रचना “अमदावाद” लिखने के लिए प्रेरित किया है। इनकी रचनाओं में नारी का दुःख, उसके सुख , उसकी पीड़ा , उसकी मज़बूती , नारी के हर एक रूप के दर्शन आपको होंगे। ये पुणे में अपने पति ‘पंकज गुप्ता’, अपने २ छोटे बच्चों सममनय और मृधिनी के साथ रहती हैं।