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About the Book:
यह काव्य संकलन "सरिता संवेदनाओं की" नारी के उत्पीड़न और समाज में नारी की दुर्दशा को प्रदर्शित करता है।
सारी जिम्मेदारियां का बोझ अपने ऊपर उठाने के बावजूद भी वह जिस सम्मान की हकदार है, वह उसे नहीं मिलता। ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद भी उसे घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन शोषण, असमानता, भेदभाव, चरित्रहीनता जैसे लांछन लगाकर और निर्वस्त्र कर उसकी लज्जा को तार-तार कर उसे शारीरिक और मानसिक पीड़ाएं दी जाती है। ऐसी घटनाएं पूरे देश को सवालों के कटघरे में खड़ा करती है।
एक तरफ नारी के सशक्तिकरण की बातें होती हैं, और हम महिला दिवस मनाते हैं। दूसरी तरफ नारी को कमजोर और अबला समझ उसके साथ अत्याचार करते हैं। निर्दोष को तो कानून भी सजा नहीं दे सकता फिर नारी को उसकी मासूमियत और बेगुनाही की सजा क्यों दी जाती है? क्या उसका स्त्री जन्म लेना ही अपराध है या फिर पुरुष प्रधान समाज होने की सजा नारी को भुगतनी पड़ती है। अब सिर्फ एक ही रास्ता नजर आता है वह है स्त्री प्रधान समाज! एक तो पुरुष बलवान है! और स्त्री निर्बल, और उसके ऊपर पुरुष सत्ता का नशा आखिर नारी जाए कहां?
About the Author:
लेखिका का जन्म 12 जनवरी 1953 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ। शिवपुरी के डिग्री कॉलेज से हिंदी में विशेष योग्यता के साथ आपने स्नातक की डिग्री हासिल की और 2 वर्ष शिक्षिका के पद पर रही।
लेखन कार्य में विशेष रुचि के रहते दैनिक भास्कर, नई दुनिया एवं साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं प्रेरणा समरलोक विवेक व अन्य पत्रिकाओं में कविताएं व्यंग व आलेख प्रकाशित होते रहे हैं। आपका कहानी संग्रह "रिश्तों के दायरे" देवभारती पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है। आकाशवाणी शिवपुरी और नासिक से कहानियों और वार्ताओं प्रसारण होता रहा है। समाज सेवा के कार्य में आपकी विशेष रूचि है साथ ही साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने व संगीत से भी आपका विशेष लगाव रहा है। आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथी और दिल्ली लाल किले के ऐतिहासिक मुकदमे के नायक आजाद हिंद फौज के पद्म भूषण कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लन जी की पुत्र वधू है इसी सिलसिले में 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती पराक्रम दिवस के अवसर पर आपको कोलकाता के विक्टोरिया हॉल में आयोजित कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सम्मान पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।