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धन नहीं तो क़द्र नहीं (Dhan Nahi To Kadra Nahi)- NO MONEY NO HONEY

By सुखेन्द्र कुमार पाण्ड़ेय (Sukhendra Kumar Pandey)


GENRE

Inspirational

PAGES

56

ISBN

E-book

PUBLISHER

StoryMirror

E-BOOK ₹45
Rs. 45
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पुस्तक के बारे में:


आज के बदलते हुए परिवेश में लोगों की मानसिकता में काफी बदलाव आ गया है। जहाँ केवल धन की पूजा होती है और इंसान की कोई क़द्र नहीं रह गयी है। लेकिन धन हीं सब कुछ है, ऐसा नहीं है। लेकिन आज आधुनिक मानव समाज में प्रतिस्पर्धा का दौर है जहां पर केवल और केवल धन की ही अहमियत रह गई है। इंसानों की कोई अहमियत नहीं है। इसलिए मैं यह किताब मजबूरी बस लिख रहा हूं क्योंकि जिसके पास धन नहीं होता है तो उसके बच्चे पति व परिवार का कोई सदस्य साथ नहीं देता है।


लेखक के बारे में:

लेखक, सुखेन्द्र कुमार पाण्ड़ेय, एक अधिवक्ता के रूप में सिविल न्यायालय सतना में वकालत करते हैं। उन्होंने ये पुस्तक खुद के और दूसरों के अनुभव को देखकर लिखा है। मैं कोई लेखक नहीं हूं, लेकिन अपने स्वयं के अनुभव व दूसरों के अनुभवों को देखकर यह किताब लिख रहा हूं तथा धन के संबंध में जो मेरे विचार है उसे आप सभी के सामने लेखन के माध्यम से व्यक्त कर रहा हूं




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