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5 average based on 2 reviews.
About the Book:
बहुत उदास हैं? खुश नहीं हैं? बहुत परेशान रहते हैं? ज़िन्दगी नीरस और उबाऊ लगती है? आप चल सकते हैं, देख सुन सकते हैं। पैसा है,नौकरी है, घर है, परिवार है। फिर भी खुशी नहीं मिलती???
सिर से पाँव तक अपाहिज इस नम्रता से पूछिए, खुश रहने का राज़…जिसकी सच्ची कहानी है ये क़िताब। ख़ुश रहने के लिए एक नज़रिया चाहिये एक पॉज़िटिव एटीट्यूट। हर ग़म से आज़ाद बेहद खुश,एक जीती जागती पत्नी और माँ ही नहीं दादी भी हैं। ये सच्ची कहानी किसी नेता-अभिनेता, साधु-महात्मा, क्रिकेट या महानायक की नहीं, एक अपाहिज मरीज़ की है। जो अपनी मर्ज़ी से एक उँगली तक हिला नहीं सकती। लेकिन खुश रहती हैं, अपने को भाग्यशाली समझती हैं। कैसे ??? जानना चाहते हैं तो बस पन्ने खोलिये। हैरान रह जायेंगे जिन्दगी की खूबसूरती देख कर, जीने का अंदाज़ आप भी सीख लेंगे जनाब…
About the Author:
शैली स्वभाव से कलाप्रेमी हैं । पेंटिंग उनका पहला प्यार है, वॉटर कलर से शुरू करके डिजिटल आर्ट तक की यात्रा की है। वह फ्रीलांस ग्राफिक डिजाइनर हैं। संस्कृत में स्नातकोत्तर के बाद धर्म शास्त्र पर 4 वर्षों तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध किया है। गिटार बजाती हैं, संगीत से भी प्रेम है। SwahiliSpace में संस्कृत से अंग्रेजी और हिंदी अनुवादक हैं।
उनके मन के भाव जब चित्रों से अभिव्यक्त नहीं हो पाते तो कविता और कहानी के रास्ते पन्नों पर उतर जाते हैं। स्टोरी मिरर से प्रकाशित अंग्रेजी कविता, हिन्दी कहानी के संग्रह में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख, कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं। प्रिंट मीडिया में यह उनकी की पहली बायोग्राफी है, आगे की यात्रा पाठकों की स्नेहिल प्रतिक्रियाओं के साथ करने की कामना करती हैं।