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The indigenous and ethnic people of the world have learnt to live in the most hostile environmental condition in this universe. The most interesting feature associated with these indigenous and ethnic groups has been found that they live in localities which are immensely rich in biodiversity.
शिखर को छूते ट्राइबल्स 1& 2 (Shikhar Ko Choote Tribals combo) will enlighten you about the tribal lives and their achievements.
हमारे सामने जब ट्राइबल्स की चर्चा आती है, तो एक पिक्चर सामने आती है- गांव में नंगे बच्चे को लेकर खड़ी हुईं औरत या लकड़ी का गट्ठर लेकर वन से लौटती महिला या मिट्टी और फूस के घर के सामने खड़ा आदिवासी, किन्तु नहीं! आज पिक्चर बदल चुकी है। आज के ट्राइबल के नाम का डंका देश विदेश में बज रहा है। सीमित संसाधनों का उपभोग करने वाले ट्राइबल असीमित क्षमता के धनी हैं। शिखर को छूते ऐसे कुछ ट्राइबल्स के जीवन परिचय को युवा लेखक संदीप ने शब्दों में सजाकर डॉक्युमेंटेशन किया है। यह पुस्तक स्कूली पाठ्यक्रम, शोधार्थियों एवं सामयिक पत्रकारिता के लिए काफी लाभदायक होगी।
किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट अथवा असाधारण प्रदर्शन किए जाने पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक वर्ष विशिष्टजनों को पुरस्कृत किया जाता है। देश का सर्वोच्च सम्मान है भारत रत्न, दूसरा पद्मविभूषण, तीसरा पद्मभूषण एवं चौथा पद्मश्री सम्मान होता है। वर्ष1954 से प्रारम्भ हुई इस सम्मान परम्परा में वर्ष 2020 तक कूल 4756 हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। अब तक 48 हस्तियों को भारत रत्न, 314 को पद्मविभूषण, 1271 को पद्मभूषण और 3123 को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं।
पद्म पुरस्कारों की इस फ़ेहरिस्त में अनुसूचित जनजाति की भी कई महान विभूतियों के नाम सम्मिलित हैं। प्रचार प्रसार की चकाचौंध से दूर रहने वाले जनजातीय समुदाय की 18 पद्मविभूषित हस्तियों की गाथाओं का अद्भभुत संकलन "शिखर को छूते ट्राइबल्स" का पहला भाग अगस्त 2020 में प्रकाशित हो चुका है।
उसी कड़ी में विभिन्न राज्यों की पद्मविभूषित 19 जनजातीय हस्तियों की जीवनियों का संकलन किया गया है, जो "शिखर को छूते ट्राइबल्स - भाग 2" के रूप में प्रस्तुत है।
यह पुस्तक स्कूली पाठ्यक्रम, शोधार्थियों एवं सामयिक पत्रकारिता के लिए काफी लाभदायक है।