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मन के स्वर ( Man ke Swar)

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Author | मानसी कपूर (Manasi Kapoor) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789360701833 Pages | 120 Genre | Poetry

E-BOOK
₹125

About the Book -


डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। कल्पना के पंख को फैलाने का जरिया मिल गया। लगता है बरसों के बाद ज़िंदगी फिर से जीने का जरिया मिल गया। अब तो पूरा खुला आसमान अपना सा लगता है। ऊँची उड़ान पर निकाल लूं बस दिल अब यह करता है। मन के अंदर जो भी कुछ अनकहीं बातें थीं उन्हें सबसे बताने का जरिया मिल गया। अब तो हम आम से खास हो गए। इस तरह हम महफिलों की शान हो गए। पहले मैं एक आम नारी थी जो बेटी बहू और मां का रोल निभाती थी जिसके मन के स्वर कहीं खो गए थे। फिर फुर्सत मिली तो जाना कौन हूं मैं अपनी ही कहानी का अनकहा किस्सा हूं मैं जिससे आप सबका मिलना है। तसल्ली से पढ़ें तो समझ आएंगे। क्या किस्सा हूं मैं बिना पंक्त देन।ा यह मन के स्वर का किस्सा है एक, जिसके स्वर को बहुत शिद्दत से पिरोया है मैंने इसमें ईश्वर, देश भक्ति और प्रेम का समावेश किया है। मैंने आशा है बात आपके दिल तक पहुंचेगी जिससे आप जुड़ाव महसूस करेंगे।





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