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फकीरी से यारी | भावनाओं का रसीला समंदर और फकीरी की नाव

By मनोज साहनी (Manoj Sahni)


GENRE

Poetry

PAGES

68

ISBN

9789360701765

PUBLISHER

StoryMirror

E-BOOK ₹99 PAPERBACK ₹199
Rs. 99
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About the Book -


यह काव्य संग्रह आम जनमानस की मनोदशा व पारिवारिक भावनाओं पर आधारित है। अपनी कविताओं में लेखक ने सफलता हेतु प्रेरित करने के साथ-साथ मिट्टी के माध्यम से इंसानी जीवन के महत्व को समझाने की कोशिश की है। खण्डहर की दुर्दशा और समाज के बदलते व्यवहार का उदाहरण देते हुए अच्छे और बुरे समय के प्रभावों का वर्णन भी कविताओं के माध्यम से किया गया है। एक पिता का अपनी बेटी के बचपन की यादों को संजोये रखने और एक पुत्र का अपनी माँ के त्याग एवं समर्पण का भावपूर्ण वर्णन कविताओं में देखने को मिलता है जो इस कविता संग्रह को प्रत्येक बेटी के पिता के लिए श्रेष्ठ कविता संग्रहों में से एक बनाता है। कवि द्वारा गरीब इंसान की व्यथा व इन्सानी जीवन की समाज पर निर्भरता का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। अंत में सभी बातों का निष्कर्ष निकालते हुए कवि ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए मन की फकीरी के माध्यम से परमात्मा से जुड़ने का तरीका समझाया है।


About Author 


"मैं अक्सर खरीद लाता हूँ खिलौने बाजार से, सोचता हूँ बचपना थैले में भरकर ले चलूंगा..."



मनोज साहनी, एक करूण रस के लेखक हैं जो हिन्दी कविताओं के अतिरिक्त कहानी एवं पटकथा लेखन में भी रूचि रखते हैं। इनका जन्म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढवाल जिले में हुआ था और यहीं से इनकी सम्पूर्ण शिक्षा-दीक्षा भी हुई है। हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय से कामर्स से स्नातक एवं स्नातकोत्तर पूर्ण करने के पश्चात इसी विश्वविद्यालय से इन्होने विधि से स्नातक भी पूर्ण किया है। वर्ष 2008 में 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त इन्होंने अपनी आगे की पढाई को जारी रखा और अतिरिक्त समय में बच्चों को पढाना शुरू कर दिया। विभिन्न वर्गों के बच्चों को पढाने व उनके सम्पर्क में रहने के कारण इन्हें जीवन के विभिन्न पहलूओं को बारीकी से समझने का अवसर मिला और अपने इसी अनुभव के कारण इन्होंने मानवीय जीवन के मर्मस्पर्शी भावों को अपनी कविताओं में पिरोने का काम किया। अनौपचारिक रूप से शिक्षण के क्षेत्र में रहने के कारण इनकी कुछ कविताओं में उत्साह एवं अभिप्रेरणा की झलक देखने को मिलती है। यह उनका पहला कविता संग्रह है जो पाठकों को भावनात्मक रूप से कल्पनाओं में बांधे रखता है।




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