We will fetch book names as per the search key...
About The Book
इल्हाम' 108 ग़ज़लों का साहित्यिक संकलन है। यक़ीनन संवेदनशीलता ज़िन्दगी को कवितामयी बनाती है। मानव-जीवन ख़ुद ही कविताओं का अनमोल ज़ख़ीरा है। माँ सरस्वती की कृपा हो जाए तो एहसासों की बूँदों से भजन,गीत,ग़ज़ल एवं नज़्म अवतरित होते ही हैं, उन्हें लिखा कदापि नहीं जाता!
ग़ज़लें व दोहें जीवन की छंदबद्धिता का प्रतीक है। जो विशेष नियमों और क़ाइदों से चलते हैं। हर शे'र मुक़म्मल होकर भी आज़ाद, लेकिन जीवनरूपी कविताओं के साथ बंधा रहता है जबकि नज़्में बुनियादी तौर से स्वछन्द और आज़ाद। ये विधाएं जीवन के विभिन्न आयामों की तर्जुमानी करते हैं। 'इल्हाम' संग्रह में शायर ने जीवन के कई पृष्ठों को उकेरा और अनुभूतियों में बसे इंद्रधनुषी सुरों से प्रतिध्वनित किया या यूँ कहें कि एहसासों के गुंचो की ख़ुशबू से नायाब सतरंगी गुलदस्ता संवारा।
ख़ुशामदीद!
इस किताब के सबसे ख़ास बात है की इसमें कुछ ग़ज़लों के साथ उनके ऑडियो का लिंक भी दिया गया है, जिससे पाठक पढ़ने के साथ साथ ग़ज़ल सुनने का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं।
About The Author
बैंगलोर निवासी कमलकिशोर राजपूत 'कमल' का जन्म देवास (म.प्र.) में हुआ। पेशे से इंजीनियर, आई.आई.टी. (मद्रास) चेन्नई से पोस्ट ग्रेजुएशन किया, डी.आर.डी.ओ. रक्षा मन्त्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद इन्होंने अपनी आई.टी. कम्पनी स्थापित की, डॉक्टर्स एवं इंजीनियर्स को अनेक आई.टी. के बहुमूल्य समाधान दिए। देश-विदेश की अनेकों यात्राएँ की।
पूर्ण निवृत्ति के बाद संवेदनशीलताओं ने उन्हें शायर बनाया। अपने एहसासों को वे भजनों, गीतों, ग़ज़लों व नज़्मों द्वारा माळवी, हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषा में अभिव्यक्त करते हैं, उर्दू से इन्हें विशेष लगाव है। अनुगूंज भजन संग्रह, अंदाज़-ए-बयाँ, रक़्स-ए-बिस्मिल एवं काश! ग़ज़ल संग्रह के चार ऐल्बम्स का लोकार्पण हुआ जो काफी सराहे गए। उनका सूफ़ी गीत विख्यात कबीर गायक पद्मश्री प्रह्लादसिंह तिपानियाजी ने गाया। उनके 33 वीडियोस यू-ट्युब पर रिलीज हुए हैं।
'इल्हाम' ग़ज़ल-संग्रह उनका प्रथम साहित्यिक प्रकाशन है।