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About the Book:
देश की आर्थीक स्थिती आज भी कृषि पर निर्भर है कृषि देश की आर्थीक स्थिति या सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी) की रिढ की हड्डी है। लेकिन हमारी कृषि पुरी तरह से प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर करती है। इस में मानसून की वर्षा का 80 प्रतिशत योगदान होता है। किसानों के लिए मौसम पूर्वानुमान की सटिक जानकारी उनके पास पहुंचने पर सही समझ में आना बहुत जरुरी होता है। लेखक का उदिष्ट है की सभी अंतिम उपयोग कर्ता मौसम शब्दावली के अनुरुप पूर्वानुमान को समझे। मौसम पूर्वानुमान को सुनने से अच्छा है वे उसे मौसम विज्ञान की वेब साईट पर जाकर उसके सभी उपलब्ध उत्पाद को रोज देखकर उसका अपने लिए उपयोग करे। जीससे उपयोगकर्ता का मौसम पूर्वानुमान संबंधी संभ्रम दूर हो क्योकि सुनने और समझने में काफी अंतर पडता है। उपयोगकर्ता को आधुनिक तकनिक का उपयोग करके मौसम संबधी कैसे जानकारी प्राप्त कर उसका कैसे सही उपयोग करे यह समझाने का भी प्रयास किया गया है। प्रादेशिक मौसम कार्यालय, नागपुर में, लेखक ने अपनी सेवायें पूर्वानुमान अनुभाग में दी हैं। सेवा के दौरान उनका संपर्क मीडिया, किसान और अन्य उपयोगकर्ता के साथ आया। लेखक ने इन सभी के साथ हुयें संवादों के निचोड से इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित हुए है।
About the Author:
लेखक ने अपनी शालांत परीक्षा छोटे से गाँव के स्कूल, स्नातक जे.बी. साइंस कॉलेज वर्धा और स्नातकोत्तर विज्ञान की पदवी विज्ञान संस्थान नागपुर से पूर्ण की है। भारत मौसम विज्ञान विभाग में एवं , मौसम पूर्वानुमान तथा मौसम विमानन अनुभाग में लेखक ने अपनी सेवाएँ दी है। मौसम विज्ञानी, के पद से ये सेवानिवृत हुए हैं। भारत सरकार के हिंदी प्रचार और प्रसार से प्रेरित होकर कार्यालियन कार्य अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी में करने का निश्चय किया।
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), नागपुर द्वारा आयोजित कई हिंदी प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार कार्यालय के लिए अर्जित किए। मंत्रालय और विभाग में आयोजित होने वाले हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठियों/प्रतियोगिताओं में अपने कार्यालय का प्रतिनिधित्व किया है। विदर्भ के मुख्य शहरों के लिए हिट अक्शन प्लॉन, महानगर पालिका, नागपुर के साथ मिलकर कार्यांवित करने में सक्रिय सहयोग किया। वैज्ञानिक तथा मौसम सबंधी लेख और कविताएँ ‘‘मौसम मंजूषा“, “ऋतुरंग“ और “नागराज” विभाग तथा नराकास के पत्रिकाओं और अन्य में प्रकाशित हुए हैं। मौसम सबंधी जानकारी हिंदी और मराठी में टीवी चैनलों (बाईट), लाइव चर्चा प्रसारित हुई है। विमानन सेवाओं में कार्यरत अन्य विभागों के अधिकारी तथा कर्मचारियों को मौसम विमानन प्रक्षिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक का कार्य राष्ट्रीय विमानन प्रक्षिक्षण और प्रबंधन संस्थान (NIATAM) गोंदिया में किया। जिजाऊ बहुदेशिय संस्था घाटांजी. जि. यवतमाल में 19/04/ 2019 को धूल बुआई के बारे में किसानों को मार्गदर्शन किया। “हिमानी” बहुभाषी कविता संग्रह और स्टोरी मिरर पर हिंदी, मराठी और अंग्रेजी कविताएँ प्रकाशित हुई है।