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उच्छृंखल (Uchhrinkhal)

★★★★★
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Author | बसंत कुमार (Basant Kumar) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | ebook Pages | 56
E-BOOK
₹299
PAPERBACK
₹599


About the Book: 

रेंगता हुआ केंचुआ, जिसका जीवन ज़मीन के उर्वरीकरण को समर्पित और अंत किसी पक्षी की भूख मिटाने से सार्थक, उसकी आकाश में उड़ने व दुनिया को देखने की उच्छृंखल आकांक्षा की काल्पनिक परिपूर्ति में एक गहन संदेश निहित है: "जीवन तो सीमित है, सीमाओं को तोड़ना ही तो जीना है"।

कवी ने करुणात्मक अपितु रोचक अभिव्यक्ति से जीवन में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा दी है।


About the Author:

बसंत कुमार की गोल्फ में गहन रुचि है। कई वर्षों से उनकी दिनचर्या का अभिन्न भाग बन गया है, यह खेल। वह लॉन टेनिस भी खेलते हैं और बाँसुरी सीखने का अथक प्रयास कर रहे हैं। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक हैं, एवं रुड़की विश्वविद्यालय से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में शिक्षा प्राप्त की। भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव बने। सेवानिवृत्ति के बाद वह सिविल इंजीनियरिंग से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर कंसलटेंट का काम कर रहे हैं –गोल्फ, टेनिस, बाँसुरी एवं लेखन से बचे समय में। बिजनौर शहर (उत्तर प्रदेश) जहाँ जन्मे और जहाँ उनका शैशव काल बीता, सात दशक अतीत की गहराइयों से उनके लेखन में किसी झरोखे से अनायास ही मुखरित हो जाता है। इस छोटे शहर में वह प्रकृति की गोद में खेले। वस्तुत: यह कविता प्रकृति की पृष्ठभूमि पर बहुरंगी अभिव्यक्ति है। उनका अंग्रेजी में एक कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ है। हिंदी कविता का यह पहला प्रकाशन है।





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