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ताना बाना (Tana Bana)

★★★★★
Author | डॉ. अनु सोमयाजुला (Dr. Anu Somayajula) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789395374361 Pages | 88
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₹165
E-BOOK
₹82





About the Book:


कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं बस, सुनने वाला चाहिए। इसका सबसे बड़ा प्रमाण पाषाणयुगीन भित्ति चित्र हैं जो निस्संदेह अपने युग के सामाजिक जीवन का सजीव दस्तावेज़ हैं। प्रसिद्ध चित्रकार प्रभाकर कोलते का मानना है कि चित्र की भाषा लिखी हुई भाषा से अलग होती है। लिखा हुआ हम पढ़ते, समझते हैं किंतु चित्रों को हम महसूस करते हैं।


प्रस्तुत संग्रह में हर चित्र ने अपनी कही अपने ही अनोखे अंदाज़ में। रेखाओं-रंगों के ताने-बाने में शब्द टंकते गए, बूटे आप ही निखरते गए, चित्र मुखर होते गए। यूं ही तो नहीं कहा “ सुनने वाला चाहिए ....”  


About the Author:


जन्म २१ नवंबर १९५०, गुजरात के बिलिमोरा शहर में हुआ। पिता सरकारी नौकरी में थे इसलिए प्रारंभिक वर्ष यायावरों की तरह शहर दर शहर बदलते बीते। हायस्कूल तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई, शायद साहित्य में रुचि पैदा होने का कारण यह भी रहा। नागपुर मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि, तत्पश्चात् मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर पदवी हासिल की। विभिन्न म्युनिसिपल एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न पदों पर कार्य करते सन् २००५ में स्वेच्छा से आवकाश ग्रहण किया। लिखने की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा। सत्तर के दशक से अब तक नियमित या अनियमित रूप से कुछ न कुछ लिखा जाता रहा। लेखन मूलतः ‘स्वांतः सुखाय’ ही रहा।


तीन कविता संग्रह प्रकाशित - “डायरी के पन्ने” (अगस्त २०२०), “सबरंग” (जनवरी २०२१) और “बया का घर” (अक्टूबर २०२१)  













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