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श्रीमद्भगवद्गीता: सरल हिन्दी पद्य (Shrimadbhagwadgita: Saral Hindi Padya)

By सुभाष चन्द सैनी (Subhash Chand Saini)


GENRE

Spiritual

PAGES

180

ISBN

ebook

PUBLISHER

StoryMirror

E-BOOK ₹125 PAPERBACK ₹250
Rs. 125
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About the Book: 


“श्रीमद्भगवद्गीता - सरल हिन्दी पद्य” श्रीमद्भगवद् गीता के संस्कृत श्लोकों का पद्य रूप में सरल हिन्दी अनुवाद है, यह गीता की ज्ञेयता को हिन्दी भाषी पाठकों के लिए अधिक ग्राह्य बनाने के लिए किया प्रयास है।


श्रीमद्भगवतद् गीता सनातन धर्म के अध्यात्म महासागर के रहस्य ज्ञान उपनिषदों का सार उपनिषद है। यह उपनिषद श्रीकृष्ण चेतना-प्रवाह है, जो कर्मयोग का विज्ञान है, जो सनातन धर्म है, जो सम्पूर्ण है, जो कालातीत है। इस भू पर जो भी मानवीय धर्म अंकुरित हुए और प्रसारित हुए, उनका सार तत्व श्रीमद्भगवद् गीता में उपलब्ध है। श्रीगीता अर्जुन के निमित, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मानव मात्र को सम्बोधित है, अतः यह सभी धर्म के लोगों के लिए पाठ्य एवं ग्राह्य है।


मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी श्री गीता का अनुवाद विश्व की लगभग सभी भाषाओं में हुआ है। हिन्दी में श्रीगीता पर अनेक संक्षिप्त और विस्तृत भाष्य, अनुवाद और टिकाएँ उपलब्ध हैं। गीता की भाषा संस्कृत होने के कारण, उन टिकाओं और भाष्यों की भाषा भी सामान्यता संस्कृत निष्ठ हिन्दी हो जाती है, इससे गूढ़ विषयक गीता ज्ञान को समझना अक्षर सामान्य पाठक के लिए थोड़ा कठिन हो जाता है। इस पुस्तक में श्रीमद्भगवद् गीता को सरल हिन्दी पद्य रूप में प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयास किया गया है, ताकि गीता सरल शैली में अध्ययन हेतु उपलब्ध हो, और अधिक से अधिक लोग गीता ज्ञान से परिचित हो सके।


इस पुस्तक में संस्कृत श्लोकों का हिन्दी पद्य में रूपांतरण होने से, श्लोकों के अर्थ में किसी व्यक्तिगत दृष्टिकोण अथवा विचार का प्रभाव नहीं आया है। यह सीधा अनुवाद है, ताकि पाठक स्वयं ही गीता ज्ञान को समझकर आत्मसात करें। पद्य रूप होने से श्रीमद्भगवद् गीता का पठन-पाठन, पाठकों के लिए कुछ रुचिकर भी अवश्य होगा।


About the Author:


पेशे से सिविल इंजीनियर श्री सुभाष चन्द सैनी, रूड़की के निकट माजरी गाँव के एक कृषक परिवार से हैं। इनकी शिक्षा दीक्षा भी गंगा नदी की आबोहवा में पल्लवित रमणीक क्षेत्र रूड़की में ही हुई। धनौरी में, गंग-नहर एवं रतमऊ नदी के संगम और इस पर निर्मित विशिष्ट बैराज के सुन्दर परिवेश में स्थित स्कूल से हाईस्कूल किया, जो वर्तमान में स्नातकोत्तर कालेज होकर उच्च शिक्षा का केन्द्र बना हुआ है। विश्व प्रख्यात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.), रुड़की (उत्तराखण्ड) से 1972 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर, श्री सुभाष सैनी उत्तर प्रदेश, लोक निर्माण विभाग में सेवा रत रहे हैं।


सिविल निर्माण की परियोजनाओं पर कार्यरत रहते हुए, फुर्सत के समय हिन्दी में कविता लेखन भी करते रहे हैं। 2009 में मुख्य अभियन्ता पद से सेवानिवृत्ति उपरान्त, वर्तमान सम्प्रति सिविल निर्माण कंसल्टेंसी, आर्बीट्रेशन एवं स्वतंत्र लेखन हैं। अक्तुबर 2020 में ‘दो कलियाँ’ (कविता संग्रह) पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है, जिसका प्रकाशन स्टोरीमिरर इंफोटैक प्राईवेट लिमिटेड द्वारा ही किया गया है।


इनके लेखन का मुख्य विषय आध्यात्मिक सामाजिकता है। श्री सैनी का कहना है कि वे ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ का अध्ययन लम्बे समय से करते रहे है, और उनके लेखन की सारथी श्रीगीता ही है। ‘श्रीमद्भगवद्गीता – सरल हिन्दी पद्य’ नाम की इस पुस्तक में इन्होंने गीता के संस्कृत भाषा के श्लोकों का हिन्दी पद रूप में अनुवाद कर श्रीगीता को समझने में कुछ सरल एवं रुचिकर करने का अभिनव प्रयास किया है।  










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