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About the Book:
यह पुस्तक भगवान श्री कृष्ण की नटखटता और लीलाओं से जुड़ी बातों का संगम है, जो लोगों में कुछ अलग तो कुछ गलत संदेश का कारण बनी हुई हैं या हमारी ही मूर्खता के कारण उत्पन भी हुई हैं, जिन्हें हमने जानने का पर्यत्न तक भी नहीं किया। जैसे कि कृष्ण गोपियों के वस्त्र चुराया करते थे। और भी ना जाने क्या-क्या, किंतु उनके पीछे के कारण हमने न कभी जाने और ना ही इन सब के पीछे छिपे उनके उद्देश्यों को समझने का प्रयास किया। भगवान कृष्ण को हमने बिलकुल वैसा समझा जैसा हमारे समाज ने समझाया। और उससे भी अधिक दूरदर्शन के धारावाहिकों ने उनकी छवि को जैसा दर्शाया वैसा ही हमने उन्हें मान लिया।
इस किताब में आज हम श्री कृष्ण से ही जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों और उनकी लीलाओं को मुख्य रूप से समझेंगे क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता जैसा उच्च ज्ञान देनेवाले भगवान श्री कृष्ण अपने बालपन में सिर्फ इसलिए माखन चोरी तो नहीं करते होंगे क्योंकि उन्हें वह प्रिय था या उनकी उन नटखट लीलाओं के पीछे कोई खास कारण भी था। इस किताब में श्री कृष्ण को बाल अवस्था से ही एक शिक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
About the Author:
रामकृष्ण आर्यन कवि एवं विद्यार्थी हैं। इनका जन्म बिहार के जमुई जिले में हुआ। ये अच्छे फुटबॉलर, बैडमिंटन प्लेयर एवं कंप्यूटर की अच्छी जानकारी रखने वाले विद्यार्थियों में से एक हैं। बचपन से ही इन्हें धार्मिक ग्रंथों में रुचि है। उनमें भी मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की व्याख्याओं से इन्हें खास लगाव रहा है पर इन्होंने रामचरितमानस भी पढ़ा है। कृष्णभावनामृत होने के कारण इन्होंने बहुत सारी किताबें भी पढ़ी हैं, जैसे श्रीलाल प्रभुपाधा जी की श्रीमद्भागवत गीता आदि। और आज इन्होंने अपनी पहली किताब भगवान श्री कृष्ण पर ही लिखी है।