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शिखर को छूते ट्राइबल्स (Shikhar Ko Choote Tribals)

★★★★★
Author | संदीप मुरारका (Sandeep Murarka) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 978-93-88698-96-2 Pages | 146
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₹195





About Book:

हमारे सामने जब ट्राइबल्स की चर्चा आती है, तो एक पिक्चर सामने आती है- गांव में नंगे बच्चे को लेकर खड़ी हुईं औरत या लकड़ी का गट्ठर लेकर वन से लौटती महिला या मिट्टी और फूस के घर के सामने खड़ा आदिवासी, किन्तु नहीं! आज पिक्चर बदल चुकी है। आज के ट्राइबल के नाम का डंका देश विदेश में बज रहा है। सीमित संसाधनों का उपभोग करने वाले ट्राइबल असीमित क्षमता के धनी हैं। शिखर को छूते ऐसे कुछ ट्राइबल्स के जीवन परिचय को युवा लेखक संदीप ने शब्दों में सजाकर डॉक्युमेंटेशन किया है। यह पुस्तक स्कूली पाठ्यक्रम, शोधार्थियों एवं सामयिक पत्रकारिता के लिए काफी लाभदायक होगी। 


About Author:

जमशेदपुर से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने वाले संदीप ने अपना कैरियर प्रिंटिंग प्रेस से आरम्भ किया। संदीप की रचनाएँ आकाशवाणी से प्रसारित एवं स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। इनकी तीन कहानियों एवं कुछ कविताओं का संकलन ‘बिखरे सिक्के’ पाठकों को अलग अनुभूति देता है। अपनी स्पष्टवादिता के लिए पहचाने जाने वाले संदीप का जन्म सरस्वती पूजा की रात्रि को हुआ था। शहर में पले बढ़े होने के बावजूद संदीप ने झारखण्ड के गाँवो एवं ट्राइबल्स की जीवनशैली को समीप से देखा है। ट्राइबल्स पर ब्लॉग लिखने वाले संदीप हिन्दी में गुरुदत्त जैसे लेखकों की पुस्तकों के अलावा पुराणों के अध्ययन में रुचि रखते हैं।













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