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शनासाई (Shanasai)

By Irfan Tarique Khan


GENRE

Poetry

PAGES

112

ISBN

9789388698115

PUBLISHER

StoryMirror

PAPERBACK ₹150
Rs. 150
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शायरी की दुनिया में यह तुम्हारा पहला प्रयास सफल होगा।मुझे पूरी उम्मीद है, तुम्हारी सोच में एक नयापन है और तुम कुछ नया कहने की कोशिश कर रहे हो जो लोगों को पसंद आएगा। तुमने जो जिया है वह लिखा है। इसलिए “शनासाई” में ईमानदारी झलकती है, तुम्हारा यह कदम मुबारक हो, मैं तहे दिल से यह दुआ करता हूँ।

समीर अनजान (Lyricist)


शनासाई सिर्फ काव्य की किताब नहीं है , यह एक ज़रूरी दस्तावेज़ है जिसे लोगों को अपने पास रखना चाहिए और बार बार इसे पढ़ते रहना चाहिए । अपनी निजी ज़िन्दगी में जो कुछ भी व्यतीत हो रहा है, जो भी गलतियां हम कर रहे है, जिस तरह से हम जी रहे है, सबको आईना दिखाते हुए ये किताब आँख खोलने का काम करती है, ताकि हम एक बेहतर ज़िन्दगी जी सके, खुद भी और दूसरों के लिए भी। अगर आप भी अपने जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाना चाहते है तो आपके बुक शेल्फ में यह किताब होनी चाहिए। ढ़ेर सारी शुभकामनाएं मेरे छोटे भाई।

सचिन के लड़िआ (Script Writer)


शायरी एक खूबसूरत लड़की की तरह होती है और रदीफ़, काफ़िया, उरूज़ उसके सिंगार की तरह, हालाँकि बगैर सिंगार के भी खूबसूरत लड़की खूबसूरत ही होती है मगर हमारे समाज में ऐसी हालत सिर्फ बेवा की होती है । इरफ़ान तारिक़ खान की किताब "शनासाई" पढ़ी और पढ़ कर समझ गया कि इनके अंदर शायर मौजूद है और ये ग़ौर व फ़िक्र की भरपुर सलाहियत रखते हैं। बस एक दोस्ताना मशवरे के साथ इनके रौशन मुस्तक़बिल की दुआ करता हूँ की शायरी के सिंगार की तरफ़ तवज्जो दें इस समाज में बेवा की ख़ूबसूरती कोई नहीं देखता।

ज़ुबैर अली ताबिश (Shayar)







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