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About the Book:
युवा कवयित्री दीपिका कुमारी जी द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘शब्द दिल के’ उनके अहसासों के अंदर की दुनिया है। हाल-ए-दिल बयाँ करने के लिए शब्दों में पिरोना आवश्यक होता है। किन्तु जब कोई अपना कलेजा ही निकाल कर रख देता है तो संवेदनाओं की सुनामी आ जाती है। पढ़ते-पढ़ते दर्द-ए-ग़म के आँसू भी छलक पड़ते हैं।
बात सिर्फ़ प्यार, मोहब्बत, इश्क़ तक ही नहीं बल्कि गाँव, शहर, बचपन, जवानी, समाज सभी विषयों को बखूबी समेटा गया है। यह गागर में सागर की तरह है। यह अपने जीवन में बिताये गये कभी भी ना भूला पाने वाली यादों का झरोखा है। हक़ीक़त-ए-ज़िंदगी का आईना है। पढ़ते हुए पन्नों के अंदर स्वयं की परछाई को झलकते देखने, समझने और महसूस की एक अनुभूति है।
‘शब्द दिल के’ यह मात्र सिर्फ़ एक ख़ूबसूरत कविताओं का संग्रह नहीं है बल्कि जीवन के अनमोल दस्तावेज हैं। जिन्हें पढ़ते हुए आप स्वयं को पाते हैं। दिल में संजो कर रखने वाली किताब है ‘शब्द दिल के’।
About the Author:
मृदु स्वभाव की धनी दीपिका कुमारी आज किसी परिचय की मुहताज नहीं हैं। राँची, झारखंड से भारत की सबसे बड़ी बैंकिंग संस्थान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्रांच में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं और विदेश में भी बैंकिंग क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव है। कैंसर पीड़ितों के लिए मॉडलिंग के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से मानशिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान से लेकर तमाम बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक को आगे बढ़ा रही हैं। दीपिका जी अपने आपको लेखिका नहीं मानतीं हैं। लेकिन जो महसूस करतीं हैं उसे शब्दों में पिरोना बख़ूबी जानती हैं।