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रंग जो बिखर गया (Rang Jo Bikhar Gaya)

Author | डॉ. रश्मि खरे ‘नीर’ (Dr. Rashmi Khare 'Neer') Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789388698979 Pages | 120 Genre | Poetry

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₹150



About Book:

 ‘रंग जो बिखर गया‘ काव्य संकलन एक ऐसा काव्य संकलन है जो मेरी जिंदगी का आइना है। कुछ सुखद अनुभव और कुछ दुखद पहलू मेरी जिंदगी को समेटती है। मेरी जिंदगी का सार है जो देखा, जो व्यथा बीती, जो जिया वही मेरी कविताएं बन गई। कक्षा 11 वी से लोगो को पता चलने लगा मै लिखती हूं। खास मेरे पिता को जिनका बहुत प्रोत्साहन मुझे मिला कविताओं का ढेर तो बहुत हो गया था लेकिन अब स्टोरी मिरर के सहयोग से व्यवस्थित हो रहीं है। मेरे बचपन का वो पल जिसे भूलना कभी भी नहीं चाहूंगी मेरे लिए बहुत ज्यादा सुखद था मुझे कचोटता है मेरे माता पिता और मेरे पति का ना होना। मैंने जीवन को जिया जिस भी परिस्थिति में मैंने ईश्वर से शिकायत कभी नहीं की एक पंक्ति मुझे हर वक्त प्रेरणा देती है “जैसे भी रखेगा मालिक रह लेंगे हम”


About the Author:

डॉ. रश्मि खरे ‘नीर’ कवियत्री है जो काफी समय से लेखन का काम कर रहीं है। विवाह पूर्व आकाशवाणी जगदलपुर

से इनकी कविताओं का प्रसारण होता था पेपर में भी इनकी कविताएं प्रकाशित हो चुकी है कला के प्रति ज्यादा रुझान होने के कारण इन्होंने नाटक में भी भाग लिया जिसका प्रसारण आकाशवाणी जगदलपुर से हो चुका है। इनका जन्म रायपुर छत्तीसगढ़ और शिक्षा जगदलपुर में हुई विवाह इनका छुई खदान राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में हुआ इनके पति स्वर्गीय डॉ अशोक खरे शासकीय अस्पताल में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर, पर उनका निधन 09/09/2013 को हो गया। छुई खदान शहीदों की मिट्टी की खुशबू है यहां ये वर्तमान में अपने दो बच्चो विक्रांत मृगांक के साथ यहां रहती है ये यहां शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में अंग्रेजी व्याख्याता

के पद पर कार्यरत है। इन्होंने अंग्रेजी, इतिहास में एम ए किया है बीएड और पी एच डी किया है।









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