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पुष्प-सार (Pushp Saar)

★★★★★
Author | डॉ. लक्ष्मण झा “परिमल” ( Dr. Lakshman Jha " Parimal") Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789394603479 Pages | 196
PAPERBACK
₹299





About the Book:


‘पुष्प- सार’ डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल’ की प्रथम संरचना है। अपने जीवन के विभिन्न पुष्प रूपी अनुभूतियों से पराभूत होकर, इस कविता संग्रह में कवि ने हरेक विधा का समावेश किया है।


कविताओं के इस संग्रह में जीवन की अलग-अलग प्रावस्थाओं के एकाधिक आभासों का सचित्रण है। प्रेम प्रसंगो से विरह की बेला तक, प्रकृति से मानव प्रवृत्ति तक, व्यावहारिकता से समाजिकता तक, राजनीति से जीवन-नीति तक, यह कविता संग्रह पाठकों के लिए सहज भाषा में एक साहित्यिक भेंट है।


श्रृंगार हास्य, व्यंग, करुण और कई रसों में लिपटी ‘पुष्प-सार’ कवि की चेतना से उद्धृत सचेतना की ओर ले जाने वाला विनम्र प्रयास है।


About the Author:


‘पुष्प-सार’ के रचनाकार डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल’, झारखंड के रमणीक शहर दुमका के निवासी हैं। ६८ वर्षीय परिमल जी ने अपने जीवन के अनमोल ४९ वर्ष भारतीय सेना में कनिष्ठ आयुक्त अफसर के पद पर कार्यरत होकर सेना चिकित्सा कोर को दिया।


२००२ में सेवानिवृत होने के उपरांत डॉ परिमल ने समकालीन झारखंड सरकार स्वीकृत एक गैर सरकारी संगठन के तहत सात पहाड़ी इलाकों के चिकित्सा अधिकारी के रूप में निस्वार्थ सेवाभार ग्रहण किया। उन्हे चिकित्सा सुविधा से वंचित दुमका के ग्रामीण इलाके में अभूतपूर्व कार्य के लिए स्थानीय लोगों और सरकार से काफी सराहना मिली।


डॉ. परिमल की हिन्दी साहित्य विशेषतः कविता में अथाह रुचि ने उनके भीतर के कवि को उनकी युवावस्था से ही जगा दिया था। यदा-कदा हिन्दी पत्रिकाओं अथवा स्थानीय अखबारों में इनकी कविताओं को स्थान मिलता रहा है।


‘पुष्प-सार’ डॉ परिमल के जीवन की अनुभूतियों से सुसज्जित एक सरल और सटीक काव्य संग्रह है जो निश्चित रूप से आम व्यक्ति के विचारों और सपनों से मेल खाती है।         













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