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मेरी आवाज मेरे अल्फ़ाज (Meri Awaaz Mere Alfaaz)

★★★★★
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Author | बृजलाला रोहन (Brijalala Rohan) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | ebook Pages | 74 Genre | Poetry
E-BOOK
₹75
PAPERBACK
₹150



About the Book:


प्रस्तुत पुस्तक “मेरी आवाज: मेरे अल्फ़ाज” विविध बिंबों यथा प्रकृति एंव पर्यावरण, प्रेरणा, करुणा, प्रेम, महिला चेतना, सामाजिक जागरूकता, लक्ष्य के प्रति उत्साहवर्धक कविताएँ से युक्त छंदमुक्त काव्य संग्रह है। इस पुस्तक के माध्यम से मानव जीवन एवं प्रकृति, रीति रिवाज़, कुप्रथाओं का खंडन, प्रेम की पवित्र परिणय भी वर्णन किया गया है। मेरी आशा ही नहीं अपित पूर्ण विश्वास है कि पुस्तक के पाठन में पाठकगण का दिया गया बहुमूल्य समय व्यर्थ नहीं जाएगा। पाठकों के मन में ज़रूर यह गहरा प्रभाव छोड़ेगा। काव्य के माध्यम से अपनी बात कहने के लिए पुस्तक में आम बोलचाल, तत्सम, तत्भव, दशज, एवं किसी - किसी संदर्भ में विदेशज शब्दों को भी लिया गया है ताकि मेरा विचार काव्य के आमबोलचाल की भाषा से स्पष्टतः समझ में आ सके।


भाषा एवं भाव पर अभी हमारी गहरी पकड़ नहीं है लेकिन फिर भी टूटी - फूटी भाषा में अपने मानवीय चेतना को जगाकर कविता लेखन करने का प्रयास किया है। व्यर्थ की बनावट एवं उलझाऊपन से मैंने बचने की कोशिश की है। सीधी - सरल भाषा में मनोरंजन के साथ अपनी मूल बातों पर पकड़ बनाने का हर संभव प्रयास किया है।


आपके हाथ में प्रस्तुत पुस्तक में त्रुटियाँ की संभावनाएं हो सकती है। आपके सुझावों की सदा कृतज्ञता पूर्वक आशा रहेगी। हमें और हमारी पुस्तक को प्यार देकर प्रोत्साहित करें।


About the Author:


मेरा नाम “बृजलाला कुमार है”। लेखन क्षेत्र में, मैं ‘बृजलाला रोहन’ नाम से लेखनरत हूँ। मैं सेंट्रल हिंदू स्कूल ( काशी हिंदू विश्वविद्यालय) का ग्यारहवीं कक्षा का कला- वर्ग ( सत्र 2021 -22) का विद्यार्थी हूँ। जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था तो उसी समय विद्यालय (जगदीश मध्य विद्यालय, गोना) में कविता लेखन प्रतियोगिता के दौरान एक शिक्षिका के प्रोत्साहन ने मुझे कविता लिखने को प्रेरित किया था।


प्रस्तुत रचना मेरा पहला काव्य संग्रह “मेरी आवाज़ मेरे अल्फ़ाज” शीर्षक से प्रकाशित हो रहा है। मैं प्रकृति - प्रेम, पर्यावरण, प्रेरणादायक श्रृंगार - रस की कविता करने के साथ ही साथ समाज के संवेदनशील मुद्दे, नारी जागरूकता, सिद्धांतहीनता भरी राजनीति पर तीखी प्रतिक्रिया करते हुए उसे छंदमुक्त काव्य भाषा देने का एक सफल प्रयास किया हूँ। मेरी माँ समान दीदी, कुछ शुभचिंतक मित्रगण और मेरी प्रेमिका के उत्साह भरी प्रेरणा मुझे लिखने का एहसास दिलाती है। उनकी ही उत्साहपूर्ण साथ के कारण ही मेरी यहाँ तक का सफर तय हुआ है और आगे भी जारी है।


मैं अभी हिंदी साहित्यका बहुत अनुभवहीन और नौसिखिया कवि हूँ। अतः भाषा और व्याकरण में त्रुटि हो सकती है, लेकिन मूल भाव स्पष्ट और सार्थक रखने का प्रयास किया है। अपने विचारों को लोगों तक संप्रेषित करने के लिए यत्र - तत्र, आम बोल चाल की भाषा का प्रयोग किया है ताकि सामान्य पाठक भी मेरे भाव को समझे और विचारों को आत्मसात कर ले। मैंने यथासम्भव दूसरों की भावनाओं, विचारों को बिना ठेस पहुँचाए अपनी बात रखने का प्रयास किया है। फिर भी अगर मेरी भाषा और काव्य ने किसी के भावना को ठेस पहुँचायी हो तो मुझे अपना बेटा, भाई, मित्र एवं माँ हिंदी का छोटा सेवक समझकर माफ कर दीजिएगा।


आप पाठकगण के स्नेहभरी शिकायतों एवं सुझावों का सह्दय स्वागत रहेगा।


मेरी पहली काव्य पुस्तक मेरे दिवंगत माता – पिता, सभी गुरूजनों को समर्पित।


मेरे सभी मित्रगणों को मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए विशेष आभार ।











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