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About the Book:
इस संग्रह की हर कविता, कवि के मन में कभी प्रेयसी बन कर हिलोरें मारती हुई, कभी कुलिश-हृदया बन कर अपार पीड़ा से निचोड़ती हुई और कभी जीवनदात्री जननी बन कर अपनी अक्षुण्ण शांति की गोद में लोरी सी सुनाती हुई, स्वयं भी पल्लवित और पुष्पित होती रही है। यह संग्रह जगत के यातनामय कोलाहल के बीच तृषित-तप्त यात्री की प्यास बुझाने बाले असीम शांतिदायी निर्झर की तरह है। कवि सदा ही उनमें अपने उल्लास, वेदना, पीड़ा, अवहेलना, प्रताड़ना, अपराध-दंश, निवृत्ति, मुक्ति, शांति और आनंद के क्षणों की प्रतिध्वनि सुनता रहा है।
निर्झर की उसी रोमांचक यात्रा पर कवि पाठकों को आमंत्रित करता है। “निर्झर” में जो सुधी पाठक स्नान कर सकेंगे, यह कृति अपनी अभिरम्य फुहारों से उनके ह्रदयों को भिगोने में तनिक भी संकोच नहीं करेगी। निर्झर का रास्ता ? ये तो पाठकों को स्वयं ही तय करना होगा।
About the Author:
लेखक एक मेकेनिकल इंजीनियर व एम बी ए हैं। वर्तमान में वह एक नवरत्न पब्लिक सेक्टर कंपनी में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। जन्म मोरेना में हुआ, उच्च शिक्षा ग्वालियर में पाई एवं स्थायी निवास आगरा में है। विज्ञान, गणित एवं इंजीनियरिंग के अतिरिक्त हिन्दी और अंग्रेजी साहित्य से विशेष अनुराग है।
‘निर्झर’ उनका प्रथम कविता संग्रह है। हिन्दी के अतिरिक्त वे अंग्रेजी में भी लिखते हैं, और एक अंग्रेजी उपन्यास प्रकाशनाधीन है। साहित्य के उपरांत कंप्यूटर और कोडिंग का समय उन्हें असीम सुख देता रहा है। आई टी एप्लिकेशन्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लैक होल, क्वांटम मैकेनिक्स, सापेक्षता, मनोविज्ञान, न्यूरो प्लास्टिसिटी, स्वास्थ्य व योग आदि से संबंधित नवीनतम शोधों से स्वयं को अपडेट करते रहते हैं ।