Quotes

Audio

Read

Books


Write

Sign In

We will fetch book names as per the search key...

मैं गली हूं : सच जो महसूस किया (Main Gali Hun : Sach Jo Mahsus Kiya)

★★★★★
Read the E-book in StoryMirror App. Click here to download : Android / iOS
Author | विवेक कुमार पांडेय (Vivek Kumar Pandey) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | ebook Pages | 72 Genre | Poetry
E-BOOK
₹70
PAPERBACK
₹140


About The Book: 


एक पत्रकार के तौर पर दुनिया की जो सच्चाई देखने को मिली, उसी को शब्द दे दिए गए हैं. भावनाओं के उमड़ते-घुमड़ते तेवर कागज पर उतारे गए हैं. लेखक का पहला प्रयास है और कविताओं को सच की तर्ज पर ही गढ़ा गया है. कविता की कसौटी पर रंग सुनहरा नहीं उतरेगा लेकिन, शब्दों की गूंज आप तक पहुंच जाए यही कोशिश है.


इस किताब में रिश्तों की बातों से लेकर जंगल तक के शब्द चित्र उकेरे गए हैं. कुछ व्यक्तिगत भावनाओं से लबरेज भी हैं. न्यूज 'जल्दी में लिखा गया इतिहास' है लेकिन इस किताब को आने में वक्त लग गया. पाठकों की पसंद ही असली मुहर होगी. हर एक पन्ने पर प्रतिक्रिया की उम्मीद के साथ प्रस्तुत है 'मैं गली हूं...'


About the Author:


विवेक पांडेय करीब 20 सालों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उन्हें हाल ही में देश के चुनिंदा 40 पत्रकारों की सूचि में शामिल किया गया है.


विवेक “40अंडर40 पत्रकार” (समाचार4मीडिया) के विजेता हैं. ‘बलिया’ में सन 2002 से ग्रामीण खबरों को दुरुस्त करने से करियर की शुरूआत की और ‘बीजिंग’ तक न्यूज कंटेंट पर काम किया. फिलहाल विवेक अग्रणी ओटीटी प्लेटफार्म ZEE5 में वरिष्ठ संपादक हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल तीनों माध्यमों में अनुभव साथ ही कंटेंट इंटेलिजेंस और बिग डेटा टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले चुनिंदा पत्रकारों में शुमार हैं.


दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान के साथ ही एबीपी न्यूज, यूसी ब्रॉउजर से जुड़े रहे हैं. क्राइम और पॉलिटिकल बीटों पर अच्छी पकड़ रही है. मूल रूप से यूपी के बलिया के रहने वाले विवेक की प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई बलिया से हुई. भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता से मास कम्यूनिकेशन किया.








Be the first to add review and rating.


 Added to cart