Quotes

Audio

Read

Books


Write

Sign In

We will fetch book names as per the search key...

मैं ना भूलूँगा (Mai Na Bhulunga)

★★★★★
Author | डॉ. अरुण कान्त झा Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789388698320 Pages | 202
PAPERBACK
₹240

पुस्तक परिचय:

दोस्तों! भली-बिसरी यादों का यह सफर भी बड़ा विचित्र होता है। कभी खुशी तो कभी गम का एहसास इससे बेहतर जिन्दगी में शायद ही कहीं और होता हो। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ! राजन, आशीष, सौरभ, गुड़िया, मिनी दीदी, गुड्डू, मैत्री दीदी आदि की यादों ने मुझे कुछ इस कदर झकझोर दिया कि मैंने फैसला किया कि इन सभी घटनाओं तथा घटनाओं से जुड़े लोगों पर एक पुस्तक अवश्य लिखूँगा। मुझे बिल्कुल भी उम्मीद न थी कि दिल-दिमाग के लगभग हर कोने से निकली ये भूली-बिसरी यादें आप सब के स्नेह और आशीर्वाद से एक बेहतरीन पुस्तक का स्वरूप ले लेगी। सौभाग्य से 'मैं ना भूलूँगा.....' पुस्तक आज आपके हाथों में है। आशा करता हूँ कि पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।

हाँ तो दोस्तों! अब देरी किस बात की है, उठाइए आपकी अपनी ये किताब और चल दीजिए मेरे साथ यादों के इस अनूठे सफर में।


लेखक परिचय:

३० जून १९५३, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में जन्मे डॉ. अरुण कान्त झा की प्रारम्भिक शिक्षा बनारस की गलियों में स्थित सारस्वत खत्री हायर सेकेन्डरी विद्यालय में हुई। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के पश्चात आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्री यूनिवर्सिटी, मैकेनिकल इंजीन्यरिंग बीटेक (१९७४) और एमटेक (१९७६) की परीक्षा पास की और १९८८ में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी, मेसरा, रांची से पीएचडी (मैकेनिकल इंजीन्यरिंग) की उपाधि भी प्राप्त की। ३० जून २०१८ को आप प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष मैकेनिकल इंजीन्यरिंग, आईआईटी (बीएचयू) के पद से रिटायर हो गए।   

तकनीकी विषयों के अतिरिक्त हिन्दी भाषा में लघुकथाएँ व कहानियाँ लिखना-पढ़ना आप का शौक है। कुछ वर्षों पूर्व, मासिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ में आप की एक व्यंग-परिहास रचना भी प्रकाशित हो चुकी है। पिछले वर्ष स्टोरी मिरर इंफ़ोटेक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई द्वारा प्रकाशित ‘ज़िंदगी के रंग, तेरे मेरे संग’ के बाद प्रस्तुत पुस्तक 'मैं ना भूलूँगा....' आपका  दूसरा लघुकथा संकलन है।       




Be the first to add review and rating.


 Added to cart