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About the Book:
प्रस्तुत पुस्तक "कनक आभा, कनक लता" एक कविता संग्रह है। यह जीवन के धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव, हर्ष-उल्लास एवं दर्द के अनुभव को व्यक्त करता हुआ कविता संग्रह है। भाषा मुख्यतः हिंदी है, एवं जीवन के विविधताओं को समेटे हुए है। यह कवि युवाओं को प्रेरित करता हुआ, प्रतीत होता है। कभी सेनाओं का उत्साहवर्धन, कभी गम से घिरे पल, कभी प्रकृति के बीच आनंद के पल एवं कभी समुद्र की लहरों का संगीत प्रस्तुत करता हुआ, प्रतीत होता है। भाषा मुख्यतः बोल-चाल की हिंदी, जिससे पाठक इसे सहज़ स्वीकारें।
About the Author:
कवि प्रशांत का जन्म 8 सितंबर सन 1991 को, बिहार के समस्तीपुर जिला के राम नगर ग्राम में हुआ। इनका जन्म एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी माँ रेणुबाला प्राथमिक विद्यालय से अवकाश प्राप्त हैं। इनका जीवन संघर्षों एवं कठिनाइयों से भरा रहा। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विस्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इन्होंने अमेरिकी बहुराष्ट्रीय सूचना प्रद्योगिकी कंपनी (आई बी एम) में अभ्यंता के रूप में कार्य किया। इनका समाज के पिछड़े, कमजोर वर्गों से विशेष लगाव है। ये महिलाओं के उत्थान एवं सक्रीय सहभागिता के समर्थक हैं। "कनक लता", कनक आभा" इनकी प्रथम काव्य संग्रह है। मैं दर्पण में बना प्रतिबिम्ब हूँ। एकदम आभाषी मैं ख्वाबों में सजा जहान हूँ। मैं गर्म रेगिस्तान में चलता हुआ पथिक हूँ। मैं कभी थका-हारा परेशान राही हूँ। मैं कभी सम्बेदनाओं और पीड़ाओं से सताया हुआ आमंजन हूँ। मैं ही हिमालय की सर्द हवाओं को झेलने वाला जवान, मैं ही समाज की सतायी हुई नारी, मैं ही समाज हूँ। ढूढ़ मुझको नदियों पहाड़ों में। ढूढ़ मुझको आसमां के सितारों में। जो तुम हो वही मैं हूँ।