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About The Author:
बचपन से ही कोरा कागज पर रंग भरना चाहे वह किसी की जिंदगी हो या कोई चित्र तथा अपनी कलम से लोगों को प्रोत्साहित करना पूजा जी का शौक रहा है ।पूजा रत्नाकर जी विगत 15 सालों से शैक्षणिक क्रियाकलापों से जुड़ी है। वर्तमान में गुरु गोविंद सिंह पब्लिक स्कूल धनबाद में वरीय शिक्षिका के रूप में आसीन है । इसके अलावा डिवाईन प्ले एंड फन स्कूल की निर्देशिका के रूप में कार्यरत है । महिला समग्र उत्थान समिति (गैर सरकारी संस्था) जो झारखंड के सुदूर क्षेत्र पलामू में कार्यरत है ,में बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु सलाहकार के रूप में वर्ष 2010 से जुड़ी हुई है। उन्होंने कई स्थानों पर कला प्रदर्शनी लगाई है जिसे लोगों ने काफी सराहा है। अखबार के माध्यम से इन्होंने अभिभावक तथा बच्चों के बीच बढ़ रही दूरियां को कम करने हेतु जागरूकता अभियान आरंभ किया है। भविष्य में बच्चों से जुड़ी इनकी कई योजनाएं जैसे वृद्धआश्रम तथा अनाथ आश्रम को एक करने का पहल पर भी इनका विचार चल रहा है....!
About The Book :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।हम सब जिस समाज में रहते हैं ,आए दिन कुछ न कुछ ऐसी घटना घटती है; जो हमारे मनमस्तिष्क पर दस्तक देती है शायद इन्हीं घटनाओं को पूजा रत्नाकर जी ने दस्तक रूपी माला में रंगों और शब्दों से मोती पिरोने का प्रयास किया है । ऐसा प्रतीत होता है की इनमें से कई कविताएं ऐसी हैं जिन का प्रयोग इन्होंने शायद किसी न किसी मंच पर जागरूकता लाने के लिए की होंगी। पूजा जी की हर एक कविताएं सत्य को उजागर करता है । आज की खोखली समाज को इन्होंने अपने कविता रूपी कलम से यह दिखाने की कोशिश की है की हमारी कथनी और करनी में कितना फर्क है। इस पुस्तक में कहीं कवित्री की हुंकार तो कहीं अंतर मन की व्यथा और कहीं मनुष्य को जगाने का प्रयास कुछ इस प्रकार पूजा जी ने आज की व्यवस्था, थोथी समाज ,प्रकृति ,धर्म, दुर्घटना ,मान ,सम्मान ,खुशी ,गम हर क्षेत्र पर दस्तक दिया है।
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