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सपनों से लम्हें
सपनों से लम्हें…!’- कविताएँ इंसानी रिश्तों की गरिमा व संवेदनाओं के साथ-साथ जीवन में मिलने वाले प्यार-तकरार, ख़ुशी-ग़म, पाने-खोने के अनुभवों से अवगत करवाती हैं। यह मोह व प्यार में विरह व विलय के भावनात्मक समावेश में सिमटे जीवन के वास्तविक स्वरूप को दर्शाती हैं। अक्सर इंसान अपनी भावनाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रकट करने में असमर्थ रहता है, ऐसी स्थिति में कविताएँ एक बेहतर माध्यम हैं, जिनके ज़रिये अपनी बात को बड़ी आसानी से अभिव्यक्त किया जा सकता है। कभी इनके शब्दों की गम्भीरता व्यक्ति को झिझोंड़ देती है, तो कभी उसे रोमांचित कर ‘सपनों से लम्हों’ में ले जाकर मदहोश कर देती है।
दिल ढूँढ़ता है
‘दिल ढूँढ़ता है!’ सपनों और हकीकत की कश्ती में सवार हर इन्सान जीवन के समन्द को पार करने की कोशिश में इधर से उधर डोलता रहता है, कभी मँज़िल के क़रीब होता है तो कभी उससे कोसो दूर। इसी पाने-खोने की जद्दोजहद से जूझता राहुल, प्यार की तलाश में अपने से दूर जाकर उसे दोहराता हुआ पाता है। उसकी यह तलाश उसके भीतर की कुछ ऐसी उलझी गिरह खोलती है जिसकी उसने कभी कल्पना भी न की थी। राहुल की यह जीवन यात्रा एक नये पड़ाव का अदभूत अनुभव बनकर सामने उभरती है ।'