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बूँद :
'बूँद' अनुपम रचना है। प्रकृति से प्रेरित लेखक ने मानवीय प्रवित्तियों एवं संवेदनाओं को स्वर दिया है। उनकी अनुभूति और अभिव्यक्ति दोनों ही सुंदर हैं। कविता मन की कोमलतम परतों को मार्मिकता से छूती है। । सहज - सरल हो कर भी यह अर्थ की दृष्टि से बहुत गहरी है। ।
बूँद में निहित प्रकृति और मानव विकास का संबंध नकारा नहीं जा सकता है। आदिकाल से मानव भौतिक एवं वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकृति से प्रेरणा ले रहा है। गहन दार्शनिक विषय को स्वाभाविक एवं अत्यंत ही सुगम रूप से प्राकृतिक विधान से जोड़ने का प्रयास विचारणीय है।
लेखक:
बसंत कुमार इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक हैं, एवं रुड़की विश्वविद्यालय से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में दीक्षा प्राप्त की। भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव बने। सेवानिवृत्ति के बाद वह सिविल इंजीनियरिंग से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर कंसलटेंट का काम कर रहें हैं--गोल्फ, टेनिस, बाँसुरी एवं लेखन से बचे समय में।
बिजनौर शहर (उत्तर प्रदेश) में जन्मे और वहीं उनका शैशव काल बीता। इस छोटे शहर में वह प्रकृति की गोद में खेले। वस्तुत: उनकी रचनाएं प्रकृति की पृष्ठभूमि पर बहुरंगी अभिव्यक्ति हैं। उनका लेखन सामाजिक ढकोसलों पर तीखा कटाक्ष है।
उनके अंग्रेजी में दो कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। हिंदी कविता का यह दूसरा प्रकाशन है।