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बया का घर (Baya Ka Ghar)

By डॉ. अनु सोमयाजुला (Dr. Anu Somayajula)


GENRE

Poetry

PAGES

92

ISBN

9789391116873

PUBLISHER

StoryMirror

PAPERBACK ₹175
Rs. 175
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About the Book:

जॉर्ज बर्नार्ड शा कहते थे “जो व्यक्ति बच्चों के स्वाभाविक चरित्र को मोड़ देने की कोशिश करता है वह संसार का सबसे बड़ा गर्भ गिराने वाला है।” बालमन सहज जिज्ञासु, कल्पनाशील, कोमल और सौंदर्य बोध में रचा पगा होता है। भारत में बाल-कविता की समृद्ध परंपरा रही है। निरंकार देव, सुभद्रा कुमारी चौहान, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, रमेश तैलंग, बच्चन, दिविक रमेश इत्यादि मूर्धन्य लेखकों ने उत्कृष्ट बाल कविताएं लिखी हैं। बाल – कविताएं बच्चों से प्रेरित होती ही हैं किंतु रचनाकार के अपने बालपन के अनुभवों से भी सिंचित रहती हैं। कहा जाता है समृद्ध बालसाहित्य के अभाव में किसी देश के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती.....


About the Author:

डॉ. अनु सोमयाजुला का जन्म २१ नवंबर १९५०, गुजरात के बिलिमोरा शहर में हुआ। पिता सरकारी नौकरी में थे इसलिए प्रारंभिक वर्ष यायावरों की तरह शहर दर शहर बदलते बीते। हायस्कूल तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई, शायद साहित्य में रुचि पैदा होने का कारण यह भी रहा। सन् १९७२ में नागपुर मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि, तत्पश्चात् मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर पदवी हासिल की। विभिन्न म्युनिसिपल एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न पदों पर कार्य करते सन् २००५ में स्वेच्छा से आवकाश ग्रहण किया। लिखने की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा। सत्तर के दशक से अब तक नियमित या अनियमित रूप से कुछ न कुछ लिखा जाता रहा। लेखन मूलतः 'स्वांतः सुखाय' ही रहा। दो कविता संग्रह - “डायरी के पन्ने ” (अगस्त २०२०), “सबरंग” (जनवरी २०२१) – प्रकाशित।

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