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अयोध्या विदा (Ayodhya Vida)

By नरेंद्र प्रताप सिंह (Dr. Narendra Pratap Singh)


GENRE

Poetry

PAGES

76

ISBN

ebook

PUBLISHER

StoryMirror

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About the Book:


अयोध्या विदा उस क्षणाबोध की अनुभूति है जब अयोध्या ने अपने प्रांगण में राम का रामत्व देखा ,जननी सीता का स्नेह पाया, लक्ष्मण, भरत, ऋषियों मुनियों का सानिध्य पाया। अपने राजा श्री राम में प्रजाजन की अनुरक्ति देखी । अयोध्या उन विशिष्ट क्षणों की साक्षी रही।


अयोध्या स्थित गुप्तारघाट से प्रभु श्रीराम, भरत, शत्रुघन, उर्मिला, अपने बन्धु बांधुवों, प्रिय प्रजाजनों सहित सरयू के पावन जल में तिरोहित हो गए । समय के साथ सब विलुप्त हो गया, लेकिन विछोह के क्षण अयोध्या के हृदय पर अंकित है। लंका विजय के उपरांत श्री राम का अयोध्या में राजतिलक हुआ । वर्षों तक उन्होने सुखपूर्वक राज्य किया । सब प्रजा सुखी व प्रसन्न थी । दैवयोग से कालांतर में सीता जी के विषय लोकोपवाद उत्पन्न हुआ । इससे क्षुब्ध हो राम ने लक्ष्मण को सीता जीवन में छोड़ने का आदेश दिया, इसी संदर्भ से इस काव्य का प्रारांभ हुआ है। अयोध्या उन सभी घटनाओ की साक्षी रही । उसने कितने ही प्रकरण देखे ,उन्हीं पलों का स्मरण है अयोध्या विदा ।


About the Author:


जन्म -2 फरवरी 1955 को उत्तर प्रदेश के जनपद सुल्तानपुर के सुदूर गाँव उघरपुर भटपुरा में हुआ ।गाँव की मिट्टी में पले बढ़े ,पेशे से नरेंद्र प्रताप सिंह चिकिसक हैं। हिन्दी की लगभग सभी पत्रिकाओं में जैसे -कादंबिनी, हंस, कथादेश, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, साक्षात्कार, उत्तर प्रदेश, लमही आदि में रचनायें कहानियाँ व कवितायें प्रकाशित । राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा वर्ष 2018-19 में बाण भट्ट पुरस्कार व हिन्दी साहित्य परिषद प्रयाग द्वारा कथा श्री सम्मान प्राप्त ।


प्रकाशित रचनाएँ –

उपन्यास - ताल कटोरी, स्पेशल वार्ड ।

कहानी संग्रह - सलीब पर देव







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