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इस पुस्तक का उद्देश्य आपके शरीर की प्रकृति से सन्तुलन बनाए रखने वाले विधि से है जो मौसम ऋतु-विशेष अथवा स्थान-विशेष की जरूरतों के भी अनुरूप हो। अतः आयुर्वेदिक उपचार करने से पूर्व आयुर्वेद की आधारभूत बातों का ज्ञान होना जरूरी है। आयुर्वेद जीवनशैली का अंग है, आयुर्वेद आयु का विज्ञान है जो जीनव के प्रत्येक पहलू से जुड़ा है।
आयुर्वेदिक का अर्थ विभिन्न बीजों, जड़ी-बूटियों तथा मसालों के संयोग से ऐसा आहार तैयार करना है जिससे आपके शरीर में समरसता बढ़े और स्वास्थ्य सबल हो, जिससे शरीर का ‘ओजस’ बढ़े। इसमें आप क्या खाते हैं, कैसे खाते हैं तथा कितना खाते हैं, इन बातों की भी जानकारी महत्वपूर्ण होती है। अच्छा खाना वही होता है जो स्थान, मौसम, ऋतु विशिष्ट स्थितियों और व्यक्ति की निजी प्रकृति के अनुकूल हो। इसके लिए जरूरी है कि वह सृष्टि के निर्माणकारी पंच तत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी) के सन्तुलन के अनुरुप हो। अतः इस पुस्तक-लेखन का उद्देश्य आयुर्वेदिक संस्कृति से परिचित कराना है और आयुर्वेद के अन्य पहलुओं का ज्ञान पाठक तक पहुचाकर प्रोत्साहित करना है।
लेखक, सुखेन्द्र कुमार पाण्ड़ेय, एक अधिवक्ता के रूप में सिविल न्यायालय सतना में वकालत करते हैं। उन्होंने ये पुस्तक खुद के और दूसरों के अनुभव को देखकर लिखा है।