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About the Book:
अपनी अनुभूतियों को शब्दों में हमेशा ही उतारती थी, पर लिख कर भूल जाती थी। फिर कुछ ऐसे दोस्त जीवन में आये जिन्होंने मेरे एहसास को अपने में उतारना शुरू कर दिया।
मैं लक्ष्मी, अनु, शालिनी, पूजा और अनंदिता को धन्यवाद देती हूँ, जिन्होंने मेरी लेखनी को अभिव्यक्ति का रूप दिया। ये कवितायें मानवीय संवेदनाओं को समेटे हुए हैं, जो कभी स्वंय के विचारों का उतार चढ़ाव है तो कभी समाज की ,कभी संबंधों की कश्मकश।
ये विश्वास जरूर है कि ये सिर्फ मेरे विचार नही रहेंगे बल्कि पढ़ने वालों को अपने दिल की आवाज भी लगेगी।
About the Author:
मोना जैन का जन्म 7 अगस्त 1972 में लखनऊ के समीप एक छोटे से गाँव बछरांवा में हुआ। वहीं से उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातक की डिग्री ली। वर्तमान में वो अपने पति और दो बेटों के साथ मुम्बई में रहती हैं। अभी युवा बच्चों को हिंदी और पेंटिंग सिखाती हैं।
'अभिव्यक्ति' उनकी पहली रचना है। लेखिका प्रकृति के साथ अपना जुड़ाव बहुत महसूस करती हैं।उन्हें समुद्र का किनारा और पहाड़ों की ऊँचाई हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती है। अपनी कविताओं में वो प्रकृति का सहारा अक्सर लेती हैं ।