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ठहराव (Thahraav)

★★★★★
Author | नचिकेता मोहंती (Nachiketa Mohanty) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 978-93-90267-50-7 Pages | 116
PAPERBACK
₹170


About The Book

प्रत्येक जीव, वस्तु, प्रकृति की अपनी एक आत्मा होती है। मनुष्य की भाषा परन्तु मनुष्य की ही चिन्ताधारा ब्यक्त करने तक सीमित रह जाती है। परन्तु, इस संसार के संतुलन हेतु प्रत्येक शे की अपनी एक भूमिका होती है और अपना एक महत्व होता है। हम मनुष्य एक घोर अंधकार में है जो ये सोचने चले हैं कि सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ प्राणी हैं हम। यही संकीर्ण मनोभाव को नकारने की और ये संसार के संतुलन मे प्रति वस्तु की भूमिका का उन्मोचन करने का प्रयास है ये कविताओं का संकलन।


यहां पर कविताओं के माध्यम से ये दर्शाया गया है कि प्रत्येक वस्तु हम मनुष्यों को कुछ ना कुछ सिखलाती अवश्य है।सबकी पीड़ा होती है। आवश्यक है कि हम संवेदनशील बने। इन कविताओं के माध्यम से यह शिक्षा मिलती है।


About The Author

नचिकेता मोहंती का जन्म ओडिशा के एक छोटे से गांव साहासपुर मे हुआ था। उन्होंने खल्लिकोट विश्वविद्यालय में अपना स्नातक हासिल किया और अपने पिता के मृत्यु के बाद पारिवारिक परिस्थितियों को सुधारने कम उम्र में ही भारतीय वायु सेना में चले गए। कुछ अरसे बाद उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक में पीओ के तौर पर २०११ में जॉइन किया। अब वो एसबीआई में प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं।


अपने नौकरी के साथ साथ वो बच्चो को पढ़ाने में रुचि रखते हैं। विद्यालयों महाविद्यालयों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में पढ़ाते और काउंसलिंग करते हैं। उन्होंने कई स्थानों पर मुख्य प्रवक्ता के रूप में भी अपना योगदान दिया। क्योंकि उनके पापा एक बहुत ही उम्दा लेखक थे पर कभी जनमानस में अपनी प्रतिभा साबित नहीं कर पाए थे, नचिकेता उनके पापा के उन विचारधाराओं को समाज के सामने रखने का प्रयास करते हैं।












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