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About The Author -
धनजीभाई गढीया "मुरली" (जुनागढ-गुजरात) के रहेने वाले है। उन्होने बी. कोम., एल. एल. बी तक अंग्रेजी माध्यममें अभ्यास किया है। संगीत बांसुरी-वादनमें "संगीत अलंकार" (मीरद-महाराष्ट्र)से पदवी प्राप्त किया और गायन विषयमें "संगीत रत्न" (अहमदाबाद) से पदवी प्राप्त किया।
अपने संगीत और साहित्य का शौख पूरा करने के लिये सरकारी नौकरी करना शुरु किया, और दिनांक:-30-6-2011 में कचेरी अधिक्षक (आई. सी. डी. एस) जिला पंचायत, जुनागढ की पोस्ट से निवृत हुए। निवृति के बाद उन्होंने ने काव्य लेखन पर अपना नसीब आजमाया और उनकी काव्य रचनाओं को बहोत सारा प्रतिसाद मिला। फिर तो उनकी कलम चलने लगी, और अभी भी चल रही है। उनकी काव्य रचनाओं का प्रथम पुस्तक आज प्रकाशित होने से अपनी जींदगी का ख्वाब पूरा होता देख रहे हे। उनको यह सफलता के लिये बहोत बहोत शुभ कामनाएँ ।
About the book -
"इस पुस्तक में इश्क-मोहब्बत, प्रेम रस, श्रृंगार रस, विरह रस, गंभीर रस, शांत रस इत्यादि साहित्य के अलंकारों से युक्त काव्य रचना रखी गई है।"