We will fetch book names as per the search key...
भारत द्वारा दुश्मन के षडयंत्रों को नाकाम करने की एक रोचक कहानी।
“अगली सुबह राजेश और लैला होटल के बाहर निकले। उन्होंने सोचा था बाहर निकल कर कोई टैक्सी कर लेंगे। वे मुश्किल से एक सौ कदम ही दूर चले होंगे कि उनके पीछे एक बड़ा धमाका हुआ। उन्होंने पीछे मुड़कर देखा प्लाजा होटल लपटों में घिरा हुआ था । लोग यहाँ वहाँ भाग रहे थे। वे भी उस जगह से दूर भागने लगे… ” (नाकाम दुश्मन)
रवि रंजन गोस्वामी का जन्म ०३/०५/१९६१ को झाँसी में हुआ था । इन्होंने बी॰एस॰सी॰ की शिक्षा बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज से और एम॰एस॰सी॰ की शिक्षा आगरा कॉलेज आगरा से पूर्ण की । वर्तमान में वे भारतीय राजस्व सेवा में सह आयुक्त सीमा शुल्क के पद पर कोच्चि में कार्यरत हैं ।
इनके द्वारा रचित नाकाम दुश्मन लघु उपन्यास अत्यंत मनोरंजक है ,जो उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगा ।
रवि रंजन गोस्वामी की अन्य प्रकाशित पुस्तकों में संवाद कविता संग्रह, द गोल्ड सिंडीकेट(लघु उपन्यास )और लुटेरों का टीला चंबल (लघु उपन्यास ) शामिल हैं ।