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हर एक बयान-ए-सुखन के पीछे एक तिलस्मी अलका का शुमार होता है। हाल ही में अगर याद करें तो हमनें कई मशहूर शायरों के क़लामो को पढ़ा है, समझा हैं। इनमे से ऊंचे वक़ार ओ ओहदे वाले शायर जैसे कि मिर्ज़ा ग़ालिब, फैज़ अहमद फैज़ और मीर ताकि मीर का शुमार है। मगर एक ख़ास शायर है जो कि काफी जदीद है और हाल ही में उनका इंतेक़ाल हुआ है, (खुदा उन्हें जन्नत बक़्शे) जो हमें बेहद पसंद है।
हम हमारी इस किताब का नाम "साज़ से गुफ्तगू" रखना चाहते है। शायद ये हमारी तरफ से उनके अज़ीम फनकारी को इज़्ज़त देने की एक हक़ीर सी कोशिश है।
"ज़लज़ला" भूकंप के लिए एक शब्द है। भारत के मुंबई के वाणिज्यिक केंद्र से एक उर्दू कवि, वह पेशे से एक दूरसंचार समाधान वास्तुकार है और 20 से अधिक वर्षों के लिए अपने क्षेत्र में एक पेशेवर अनुभव है। पिछले बीस वर्षों से वह भारत और दुनिया भर में सबसे महत्वपूर्ण दूरसंचार नेटवर्क को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान में वह दक्षिणी अफ्रीका के क्षेत्र में काम करते है।
उर्दू कविता और गायन हमेशा से उनका जुनून रहा है। जब वह कॉलेज में थे वह बहुत लिखते थे। "17 साल के लंबे लेखक के ब्लॉक" के बाद उन्होंने अपना लेखन फिर से शुरू किया। ज़लज़ला उर्दू के कवियों में मीर तकी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, अहमद फ़राज़ और कई अन्य लोगों का एक प्रमुख पाठक है। अब्दुल अहद साज़ ज़लज़ला के पसंदीदा कवियों में से एक हैं और यही कारण है कि उन्होंने अपने कविता संकलन को इस गूढ़ कवि को समर्पित किया है जिसके बारे में हमारी पीढ़ी के बहुत कम लोग जानते हैं।
ज़लज़ला लोगों से जुड़ना पसंद करता है और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए बहुत सी गतिविधियाँ करता है। एक बेटी के पिता, ज़लज़ला के पास भी नारीवादी विचार हैं और सच्चे नारीवाद को लाने का प्रयास करते हैं। आप ZalZala को instagram @zalzala_kalyan पर फॉलो कर सकते हैं।