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प्रीत तुम्हें कैसे लिखूं!

By मयंक कुमार सिंह


GENRE

Abstract

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106

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ebook

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StoryMirror

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About the Book -

तुम ऐसे ही 

रोज रंग बदलो

थोड़ा - थोड़ा 

ऐसे ही तुम्हें

लिखता रहूंगा . . ! 

बहुत से प्रेमी ऐसे होते हैं जो कई रातें देवदासी यादों में अपनी प्रेयसी को याद कर अर्पित कर देते हैं । लेकिन उनका जीवन ही एक महफ़िल का हिस्सा बन जाता हैं ! महफ़िल के एक प्रमुख सिपाही होते हुए भी सबसे ज्यादा जख्म उन्हें ही नसीब होता हैं । और ये ज़ख्म उनकी प्रेयसी जो की उनके जीवन की कभी शासिका हुआ करती थी , वह स्वयं बड़ी चालाकी से दिया करती हैं ।इतना होने के बाद भी कहीं न कहीं प्रेयसी की खुशियों के लिए वे अपने अरमानों को किसी वीरान पड़ी अंधकार भरी दिल के किसी कोने की एक गुफा में हमेशा के लिए दफ़न कर देते हैं । अपनी प्रेयसी की खुशियों के लिए ! पर इतना करने के बाद भी बदले में उन्हें विरासत के तौर पर ढेर सारा अपमान मिलता है ! पर ज़ख्म देने वाली प्रेयसी को इतना एहसास अवश्य होना चाहिए कि नदी कितना भी रास्ता भटके कभी न कभी उसे समंदर में ही मिलना होता है ! !


About the Author -


मयंक कुमार जी 22 वर्ष के हैं । देश के कोयला राजधानी से विख्यात शहर धनबाद के रहने वाले हैं । प्रेमचंद्र एवं कवि दिनकर को अपना आदर्श मानते हैं । शेक्सपीयर की रचनाएं पढ़ने वालों से दूरी बनाए रखते हैं । इनका मानना है कि जितनी अच्छी उनकी अंग्रेजी है उतना ही तंग अंग्रेजी में इनका हाथ है । हिंदी का तलवार लिए कर्मभूमि में डटे रहते हैं । इस आशा के साथ की कभी न कभी प्रेमचंद्र वाले प्रेमी एवं शेक्सपीयर वाली प्रेयसी का मेल किसी रास्ते पर होगा और दोनों भाषाओं के संगम के साथ ही एक नई भाषा की उत्पत्ति होगी , जिसके फल स्वरूप प्रेम की नींव रखी जाएगी । देश के चर्चित समाचार पत्र के वेबसाइट पर कुछ कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं । हिंदी काव्य एवं साहित्य में विशेष रूचि है । स्टोरी मिरर डॉट कॉम के वेबसाइट पर 50 से अधिक कविताएं प्रकाशित हो चुकी है तथा स्टोरी मिरर डॉट कॉम के ब्लॉग सेक्शन में इनके द्वारा लिखित 5 ब्लॉग , 5 कहानियां तथा 1 ऑडियो कविता का भी प्रकाशन किया जा चुका है । इनका मानना है कि जब - जब लेखन के कार्यों से दूर होते हैं तब - तब मानो इन्हें ऐसा महसूस होता है कि जीवन की ऊर्जा शक्ति कम हो गई हो । युवावस्था के संघर्ष भरे जीवन में बहुत मुश्किल से लेखन का कार्य कर पाते हैं । पर जब भी मौका मिलता है काव्य एवं साहित्य को अपना अभिभावक मानकर अनुशासित पुत्र की भांति कविताएं एवं कहानियां लिखते हैं । मुख्य रूप से इनकी कहानी एवं कविताएं आधुनिक समाज पर होती है तथा कुछ कहानी एवं कविताएं अतीत से वर्तमान का संवाद करते नजर आती है ।




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