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पवनजली (Pawanjali)

★★★★★
Author | जयंती महाकाल (Jayanti Mahakal) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789395374750 Pages | 56
PAPERBACK
₹125
E-BOOK
₹69



About the Book:


आज हम जिस परिवेश में रहते हैं वहाँ प्रकृतिक सुंदरता का आनंद लेने हमें कहीं दूर आस-पास के हरी-भरी जगह जाना पड़ता है। वातावरण में वे शांति नहीं कि झिंगुर की आवाज सुन सके। लेकिन आज से सौ वर्ष पहले हर कोई प्रकृति से इतनी घनिष्टता से जुड़ा था कि हर रोज सूर्य की किरणें, मिट्टी, झरनों के संपर्क मे सभी के दिन कटते थे। आज प्रकृति से जुड़ने के लिए हमें घरों से निकलकर यात्रा करनी पड़ती है।


इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने प्रकृति के प्रति मानवता की संवेदना को जगाने का प्रयास किया है। कहानी में काफी गीत है जो प्रकृतिक सुंदरता को समर्पित है। यह चार मित्र राजेश्वरी, बाला, श्रीधर और शशीधर की है जो अपने किशोरावस्था में है। ये प्रकृति की गोद में सब्जी-भाजी बेचकर अपना निर्वाह करते हैं। तभी इनका परिचय ‘पवनजली’ नाम की एक युवती से होता है, जो बिल्कुल अद्भुत और अनोखी है। मित्रों और ‘पवनजली’ का ये सफर अनोखा एवं रोमांचक है।


प्रकृतिक सुंदरता के बीच रची गई ये कहानी जीवन के एक अलग ही आयाम को दर्शाता है। संगीत के माध्यम से इसमे जान डालने की कोशिश की गई है।


About the Author: 


 जयंती महाकाल एक साधारण परिवेश में रहने वाली लेखिका हैं। उन्होंने अपने बचपन में कई कहानियों और टी.वी. सीरियल देखे जैसे ‘Alice in Wonderland’, ‘Heidi’ और अन्य भी कई। उन्होंने कई अध्यात्मिक पुस्तक भी पढ़ी और भारत की भक्त शिरोमणी मीराबाई की भक्ति के अनेक प्रसंग सुने और पढ़े।


लेखिका ने दिल को छूने वाली अपनी उन क्षणों की यादों का मिश्रण कर एक नई रचना रचने का प्रयास किया है। जिसमें बचपन भी हो, संगीत भी हो, मौसम भी हो, मस्ती भी हो और उन्हें दुनिया से अलग कर अध्यात्मिक दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया। हालाँकि ये कहानी लेखिका की कल्पना मात्र है और उसकी अतीत की स्मृति से संजोये गए कुछ यादें हैं। लेकिन काल्पनिक कहानियों के सफर में उनका एक अनोखा प्रयास है। आशा है पाठकों को भी ये अनोखी दुनिया का सफर करा पाएगी।  









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