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संग्रह में ग्यारह कहानियां हैं जिनमें प्रताप जी महानगर में एक आम आदमी की मशक्‍कत,संघर्ष और हर दिन की उथल पुथल को बेहद खूबसूरती से हमारे सामने पेश करते हैं। आम आदमी की जिंदगी बेहद पेचीदगी भरी होती है और उसके रिश्‍तों के नाजुक रेशों को पकडना इतना आसान नहीं होता। प्रतापजी अपनी शानदार भाषा के बलबूते पर यह काम बखूबी करते हैं। एक पठनीय कहानी संग्रह