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माँ की डायरी (Maa Ki Diary)

By मौमिता बागची


GENRE

Abstract

PAGES

92

ISBN

978-93-88698-73-3

PUBLISHER

StoryMirror

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About The Book: 


यह पुस्तक लेखिका मौमिता बागची की दूसरी प्रकाशित पुस्तक है। यह एक लघु उपन्यास है, जिसमें उन्होंने माँ की डायरी के माध्यम से एक माँ की दृष्टि से स्त्री जीवन की त्रासदी, विषमताओं और चुनौतियों को दर्शाने की कोशिश की है। एक माँ, जो एक पत्नी है, किसी की बहू भी है, भाभी भी है, कुल दीपक को जन्म देने वाली भी हैं और न जाने कितने ऐसे रिश्तों को वह निभाती हैं, कैसे दूसरे को खुश करने की प्रक्रिया में अपने इच्छाओं की बलि चढ़ाती है। इसका सुंदर वर्णन इस पुस्तक में मिलता है।


प्रतिलिपि फैलोशीप प्रोग्राम के तहत यह एक धारावाहिक के रूप में लिखी गई थी।

संपादक मानवी वहाने जी का इसके बारे में कहना है -"एक माँ का डायरी के माध्यम से, अपने बेटे को स्त्री की दृष्टि से स्त्री को देखना व उसके जीवन को समझने का नज़रिया प्रदान करना बेहद अच्छा लगा। काश ये नज़रिया हर माँ अपने बच्चे को सीखा पाए।"


"वर्तमान समय में स्त्री सम्बन्धी चिंतन-मनन व इस विषय पर समझदारी बनाना बहुत आवश्यक है। क्यूंकि अब यह चिंतन-मनन घर-परिवार तक सीमित ना रह कर विश्वव्यापी रूप ले चुका है।"

 

"कहते है कि किसी भी सभ्य परिवार, समाज अथवा संस्कृति का सही आंकलन करना हो तो वहाँ की स्त्रियों की स्थिति आंकलन कर लो सब ज्ञात हो जाएगा आपको।" 



About The Author:


लेखिका मौमिता बागची, कलकत्ता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज (अभी यूनिवर्सिटी) से हिन्दी साहित्य में एम.ए. हैं। उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से बी.एड. भी किया हैं। साथ ही वे एक प्रशिक्षित हिन्दी अनुवादक और कॉन्टेन्ट राइटर भी है। दो सरकारी संगठनों के राजभाषा विभाग में इनका कुछ वर्षों तक कार्य करने का अनुभव हैं। एक साल तक इन्होंने एक स्कूल में भी पढ़ाया हैं। आजकल स्वतंत्र लेखन करती हैं। स्टोरीमिरर, प्रतिलिपि, मॉमस्प्रेसो जैसे हिन्दी ब्लॉगों में वे नियमित रूप से लिखती हैं। इनकी पहली प्रकाशित पुस्तक, “कुछ अनकहे अल्फाज़ कुछ अधूरे ख्वाब़” (2019) में प्रकाशित हुआ था।


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