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About the Book:
समग्रता के साथ युगबोध आधुनिक कहानी का विस्तृत आयाम है। संवेदनशीलता के चेतना स्वर को कहानी के माध्यम से सहजता के साथ समझा जा सकता है। इस पुस्तक की कहानियाँ विभिन्न कालखंड में लिखी गईं हैं। लिखकर डायरी में पड़ी रहीं। काफी समय बाद प्रकाशित कराने का अवसर मिला। देश विदेश में भ्रमण का पर्याप्त अवसर मिला। लिखने में मेरी रुचि रही है और काम भी लिखने का रहा । ये रोचक कहानियाँ सार्थक मनोरंजन तो करती ही हैं, साथ ही सही दिशा, प्रेरणा और जीवन दर्शन भी दर्शाती हैं। कलम की शक्ति का प्रयोग कर साहित्यकार नव समाज के निर्माण में सहयोग देता है।कहानियों की लम्बी परम्परा है , और आबाल वृद्ध सभी का मनोरंजन इनसे होता है, साथ ही नए विचार और दिशा भी मिलती है।
About the Author:
उच्च न्यायिक सेवा से लेखिका सेवानिवृत्त हैं। दिया हुआ नाम चन्द्र प्रभा और डिग्री में नाम राजेन्द्र कुमारी , एम. ए. (संस्कृत), लॉ में एल-एल. बी.। बिहार प्रादेशिक न्यायिक सेवा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर प्रथम महिला जज होने का गौरव हासिल किया । लेखन और पर्यटन में रुचि होने के कारण देश विदेश घूमीं। उच्च न्यायिक सेवा से निवृत्त होने के पश्चात् अपनी रुचि व अनुभव के विषय में लेखन किया । कुकरी पर “भोग प्रसाद”, “षड् रस”, “बेसिक होम कुकिंग” आदि पाँच पुस्तकें प्रकाशित हुईं। सामाजिक विषय पर “गृहदीप्ति” और लॉ पर “जीवन में न्याय” व “Indian Constitution for Children” पुस्तक प्रकाशित हुई हैं । एक उपन्यास आश्रिता पर के. बी. हिन्दी सेवा न्यास (पंजी)द्वारा “हिन्दी भूषण श्री” सम्मान से सम्मानित । स्टोरीमिरर प्रकाशन द्वारा “सरस कहानियाँ”, “उड़ान मेरी”, “एक ही नीड़”, “अनन्त के जल कण”, “बाऊ जी ने कहा था”, “जीवन धारा” पुस्तकें प्रकाशित। “बाऊ जी ने कहा था” उपन्यास पर स्टोरीमिरर का प्रथम पुरस्कार मिला। सौ से अधिक प्रशंसा प्रमाणपत्र मिले हैं। क़रीब ४५ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित है। स्वयंयुग पब्लिकेशन से दो पुस्तके “ दत्तात्रेय के चौबीस गुरु” और “कथा विविधा” इसी वर्ष २०२५ में प्रकाशित हुई है।