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गुजारिश (Guzarish)

By मनीषा सिन्हा(Manisha Sinha)


GENRE

Poetry

PAGES

101

ISBN

9789388698290

PUBLISHER

StoryMirror

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About the Book:


“गुजारिश” .... किससे है यह गुजारिश, और इस गुजारिश की आख़िर जरुरत ही क्या पड़ी! 


यह गुजारिश है, हर उस इंसान की खुदा से, ख़ुद से जो थका हारा शाम को घर आता है, तो इस उम्मीद के साथ आता है, कि कल की सुबह फिर से एक नए जोश के साथ आएगी।


इस तरह उसके हालात कुछ भी हो वह अपनी उम्मीद को नाउम्मीदी में नहीं बदलने देता। लाख शिकवों - शिकायतों के बावजूद भी वह हर -रिश्तों को बख़ूबी निभाना जानता है, या प्रयास करता है। ख़्वाहिशें पूरी ना होनें पर मायूस होता जरुर है, शायद रास्ते भी बदलता है, मगर उसके पूरे होनें की उम्मीद को छोड़ता नहीं है। अंततः ज़िंदगी के थपेड़ों से गुज़रता हुआ वह अख़िर-कार मान ही लेता है, कि उसका एकाग्रचित्त मन और उसके कर्मों का चुनाव ही उसके जीवन की रूप रेखा तय करेंगी। ज़िंदगी के सफ़र के लिए खुदा के साथ, मन की स्थिरता और हमारे कर्म कितनी ज़रूरी है इसी को दरशानें की एक कोशिश है यह.......”गुजारिश”


About the Author:


लेखिका “मनीषा सिन्हा” पेशे से चिकित्सा जगत से जुड़ी होने के बावजूद साहित्य ने उन्हें हर वक्त आकर्षित किया है। बचपन से ही अपने ख्यालों को कविता का रूप देने की कोशिश करती आईं हैं। ज़िंदगी और उससे जुड़ी घटनाओं को हमेशा उन्होंने इस तरीक़े से लिया है, कि जब सुख हो या दुख स्थायी नहीं होता, तो हमारी प्रतिक्रिया भी स्थायी नहीं होनी चाहिए।


हमेंशा ईशवर, ख़ुद के कर्मों पर विश्वास करने के सुझाव का परिणाम है यह किताब, जिसे उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर लिखा है।


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