Quotes

Audio

Read

Books


Write

Sign In

We will fetch book names as per the search key...

गुरु दक्षिणा (Guru Dakshina)

★★★★★
Read the E-book in StoryMirror App. Click here to download : Android / iOS
Author | बालेश्वर सिंह (Baleshwar Singh) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | ebook Pages | 132 Genre | Abstract
E-BOOK
₹99
PAPERBACK
₹199


About the Book: 


यह काव्य महाभारत काल के उस वीर योद्धा के बारे में लिखी हुई है जिसे कदाचित वह समृद्धि नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी। इस काव्य में महाभारत काल के सबसे कम वर्णित धनुर्धर एकलव्य की गाधा पिरोई गई है। वह एक कुशल धनुर्धर के साथ-साथ अद्वितीय शिष्य भी था। गुरु-शिष्य परंपरा का ऐसा दूसरा उदाहरण हमें कहीं और देखने को नहीं मिलता।


गुरुओं का मान हमारी सनातन संस्कृति को दर्शाता है, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु चाहे वह जिस भी रूप में हो पथ प्रशस्त करता है। यह काव्य उन सभी द्रोण जैसे गुरुओं और एक लव्य जैसे शिष्यों को समर्पित है।


About the Author:


बालेश्वर सिंह का जन्म सं० 1934 में एक अति साधारण मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही साहित्य के प्रति उनकी रूचि चौंकाने वाली थी। बहुत छोटी सी उम्र से उन्होंने कविताएँ लिखनी प्रारंभ कर दी थी।

 

उनकी रचनाओं में एक अलग तरह की मधुरता दिखती है, जैसे माँ सरस्वती स्वयं उनकी लेखनी में विराजमान हों। 


उन्होंने गरीबी को करीब से देखा था, इसलिए वे हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। इसी स्वभाव के कारण वे आर्थिक रूप से हमेशा संकट में रहते, जिसके परिणाम स्वरूप उनके जीवित आयु में उनकी रचनाएँ प्रकाशित नहीं हो सकी। और माँ हिंदी का एक बेटा अपने अधूरे स्वप्न के साथ ही दुनिया से विदा हो गया। उन्होंने 16 अगस्त 2010 को अपनी आखिरी साँसें ली।


उनकी यह रचना पाठकों को निश्चित रूप से पसंद आयेगी। जिस भाव से यह काव्य लिखी गयी है, मुझे पूरा भरोसा है पाठकों के दिलों को छू जाएगी।









Be the first to add review and rating.


 Added to cart