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कोरोना लॉकडाउन - 'बदलती जिंदगी, बदलते रंग' (Corona Lockdown - Badalti Zindagi, Badalte Rang)

By डॉ. अरुण कान्त झा ( Dr. Arun Kant Jha)


GENRE

Abstract

PAGES

180

ISBN

978-93-90267-26-2

PUBLISHER

StoryMirror

PAPERBACK ₹225
Rs. 225
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About Book:

आखिरकार कोरोना ने दबे पाँव हमारे देश में भी प्रवेश कर ही लिया और इस प्रकार शुरू हो गया मौत का तांडव। कोरोना ने इंसान की दौड़ती-भागती जिंदगी पर लगाम लगा दी। लॉकडाउन के गंभीर माहौल में भी यदाकदा हास्य-व्यंग्य भी सुनने-पढ़ने में आ जाते और साथ ही कई ऐसी घटनाएँ भी जानने-सुनने को आयीं जिससे मन बेहद व्यथित हो उठा। इन्हीं सब खट्टी-मीठी घटनाओं को लघुकथा संकलन का रूप देकर एक पुस्तक रूप में प्रस्तुत करनेका मुझे विचार आया।

आपके सामने प्रस्तुत है-कोरोना लॉकडाउन-'बदलती जिंदगी बदलते रंग'।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे इस प्रयास के माध्यम से 'सारा', 'बेबस जिंदगी', 'तलब', 'बज्जे', 'दान', 'निम्मो' जैसी अनेक कहानियाँ और उनसे जुड़े पात्र जीवन के कई रंग दिखाते हुए आपकी स्मृति में सदैव जीवंत रहेंगे।



About the Author:

३० जून १९५३, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में जन्मे डॉ. अरुण कान्त झा की प्रारम्भिक शिक्षा बनारस में स्थित सारस्वत खत्री हायरसेकेन्डरी विद्यालय में हुई। तत्पश्चात आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से बीटेक एवं एमटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)और बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा,रांची से पीएचडी (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की उपाधि भी प्राप्त की। ३० जून २०१८ को आप प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी (बीएचयू) के पद से रिटायर हो गए।  

तकनीकी विषयों के अतिरिक्त हिन्दी भाषा में लिखना-पढ़ना आप का शौक है। स्टोरीमिरर इंफ़ोटेक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई द्वारा प्रकाशित 'ज़िंदगी के रंग तेरे मेरे संग' और 'मैं ना भूलूँगा' के बाद कोरोना लॉकडाउन - 'बदलती जिंदगी, बदलते रंग'आपका तीसरा लघुकथा संकलन है।  



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