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चिकनी चुपड़ी ( Chikni Chupdi)

★★★★★
Author | हरकीरत सिंह ढींगरा ( Harkirat Singh Dhingra) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789391116705 Pages | 192
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₹225





About the Book:

“चिकनी चुपड़ी” एक ऐसा संकलन है, उन भावनाओं का, चेष्टाओं का, चाहतों का, अभिव्यक्ति का, वार्तालाप का, आप बीती का, एहसास का, स्वाद का…..जी हां आप भी पूछेंगे ... है क्या? जी हां, ये मिश्रित संग्रह है “चिकनी चुपड़ी- कविताओं की खिचड़ी” का। मैंने जो भी लिखा वो मेरे मन के भाव, प्रतिकृया या मेरी अवलोकन को लयबध तरीके में पिरोने की कोशिश मात्र है। हाँ, अगर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर हो सकता है तो मुझे भी आप एक एक्सीडेंटल कवि कह सकते हैं।


मेरी कवितायें, तुकबंदी मेरे मित्रों को, अपनो को, अच्छी लगी तो प्रोत्साहन मिला और फिर एक वक़्त वो आया मैं किसी भी टॉपिक पर कविता लिखने लगा... जैसे “चल यार, फिर कुतुब मीनार”, “ये उन दिनों की है बात”, “बोली थी Dp भी”, “बेटियां... एक सौगात”, “YEZDI की याद आई”,“उबलते आलुओं से उठता हैं धुआँ”, “टुट गयी कडक कर के”, “भुट्टा, सौगात बरसतों की”,“उम्र में दो साल छोटे हो” वगैरा... वगैरा... वगैरा।


मेरा पाठकों से, निवेदन है की आप इस संग्रह के शुरुआत मैं लिखा “यादे-माज़ी के आईने में….” ज़रूर पढ़ीये। सुप्रसिद्ध लेखिका एलिज़बेथ कुरियन ‘मोना’ जी ने एक अनोखे अंदाज़ में, मेरी कुछ चुनिन्दा कविताओं पर टिप्पणी तो की है, उनके स्वरूप का सार, बड़े सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया है।


प्रस्तुत है, हर्षित उलास के साथ मेरे प्रथम प्रयास “चिकनी चुपड़ी” कविताओं की खिचड़ी: चखिये, खाइये, मज़ा लीजिये।


About the Author:

हरकीरत सिंह ढींगरा जी का जन्म, भारत के सबसे खूबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास बसे समर हिल्स की सुरम्य पहाड़ियों के बीच देश की आजादी के नौ साल बाद हुआ था। सिविल इंजीनियरिंग कर, 20 वर्ष से भी कम आयु में ही इन्होंने नौकरी शुरू कर दी थी। अक्टूबर 2005 में बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की स्नातक की डिग्री भी हासिल की। पहले प्राइवेट, फिर CPWD और BHEL में कुछ वर्षों तक कार्यरत रहे। इसके पश्चात महारत्न कम्पनी NTPC लिमिटेड में 33 वर्ष के लंबे अंतराल तक कार्यरत रहने के उपरांत, अगस्त 2016 में सेवानिवृत्त हुए।


इन दिनों वह अपने ख़ाली समय का सदुपयोग, अपने आस पास की वस्तुएँ, घटनाओं और प्रियजनों के साथ बिताए कुछ मधुर लम्हों एवं कुछ खट्टी-मीठी स्मृतियों को शब्दों में पिरोकर पन्नों पर उतारते हैं।


“चिकनी चुपड़ी” है कविता संग्रह, उनका लेखनी के क्षेत्र में प्रथम लघु प्रयास है।


हरकीरत सिंह ढींगरा













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