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बिखरे सिक्के (Bikhre Sikke)

★★★★★
Author | संदीप मुरारका (Sandeep Murarka) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 978-93-90267-65-1 Pages | 158
PAPERBACK
₹150




About The Book

ऑटोबायोग्राफी स्टाइल में लिखी गई तीन कहानियों और हॄदय को छूती कुछ कविताओं का संकलन है - बिखरे सिक्के।


"रेलवे लाईन के लिए एक ट्राइबल महिला मंगरी देवी की 1.13 एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई और मुआवजे के तौर पर उस विधवा महिला को दिए गए मात्र 1848/- रुपए। एक ट्राइबल की पुश्तैनी जमीन का वर्ष 2010 में यह मुआवजा, सुनते ही मुझे लगा कि अब मैं मारा गया " - कहानी 'बिरसा' के अंश


"हर अपराध की अपनी एक वजह होती है और हर अपराधी की अपनी दलीलें। चोरी के पीछे भूखा पेट होता है, बलात्कार के पीछे वासना, चाहे जो हो, अपराधी अपराधी होता है, गोड़से अपराधी था, गाँधी का अपराधी" - कहानी 'गोड़से.... एक हत्यारा' के अंश


About The Author

"एक हाथ में करनी, एक हाथ में लेखनी" - झारखण्ड राज्य में जमशेदपुर शहर से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में औद्योगिक इकाई स्थापित करने वाले संदीप मुरारका पर ये शब्द फिट बैठते हैं। संदीप की रचनाएँ आकाशवाणी से प्रसारित एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। शहर में पले बढ़े होने के बावजूद संदीप ने झारखण्ड के ट्राइबल्स की समस्याओं को बहुत नजदीक से महसूस किया है। हिन्दी में गुरुदत्त जैसे लेखकों की पुस्तकों के अलावा पुराणों के अध्ययन में रुचि रखने वाले संदीप सामयिक आर्टिकल, स्तम्भ, जीवनियाँ व कविताएँ लिखते हैं।





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