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Ghazal traces its roots from the Arabic poetry. It can be said that a ghazal is a sung wither to express the pain of loss or separation or beauty of love in spite of that pain. Words are given the utmost importance in Ghazal.
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इल्हाम (Ilhaam)
ग़ज़लें व दोहें जीवन की छंदबद्धिता का प्रतीक है। जो विशेष नियमों और क़ाइदों से चलते हैं। हर शे'र मुक़म्मल होकर भी आज़ाद, लेकिन जीवनरूपी कविताओं के साथ बंधा रहता है जबकि नज़्में बुनियादी तौर से स्वछन्द और आज़ाद। ये विधाएं जीवन के विभिन्न आयामों की तर्जुमानी करते हैं। 'इल्हाम' संग्रह में शायर ने जीवन के कई पृष्ठों को उकेरा और अनुभूतियों में बसे इंद्रधनुषी सुरों से प्रतिध्वनित किया या यूँ कहें कि एहसासों के गुंचो की ख़ुशबू से नायाब सतरंगी गुलदस्ता संवारा।
साज़ से गुफ्तगू (Saaz Se Guftagu)
हर एक बयान-ए-सुखन के पीछे एक तिलस्मी अलका का शुमार होता है। हाल ही में अगर याद करें तो हमनें कई मशहूर शायरों के क़लामो को पढ़ा है, समझा हैं। इनमे से ऊंचे वक़ार ओ ओहदे वाले शायर जैसे कि मिर्ज़ा ग़ालिब, फैज़ अहमद फैज़ और मीर ताकि मीर का शुमार है। मगर एक ख़ास शायर है जो कि काफी जदीद है और हाल ही में उनका इंतेक़ाल हुआ है, (खुदा उन्हें जन्नत बक़्शे) जो हमें बेहद पसंद है।
ज़िन्दगी गुलज़ार है (Zindagi Gulzar Hai)
इस कथा संग्रह की कहानियों को पढ़ना एक बड़े अनुभव संसार से गुज़रने जैसा है। ये कहानियाँ जीवन के विभिन्न रंगों को समेटे हुए, समाज के सरोकारों पर व्यंग्य भी करती है और उनका जायज़ा भी लेती है। इस संग्रह की कहानियों को पढ़ना प्रिज़्म से होकर गुजरती हुई सूरज की सतरंगी किरणों से वाबस्ता होने जैसा है। इन कहानियों में हमें समय और समाज का वह अक्स दिखलाई देता है जो हमें हैरान भी करता है और बेचैन भी। इसीलिए कहा जा सकता है कि इन कहानियाँ को पढ़ना एक शांत झंझावत से गुज़रना भी है।