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About Book:
ये पुस्तक २१ लघु कथाओं का संग्रह है। क्यूँकि ये कहानियाँ निकल कर आयी हैं, इसलिए भाषा और विधा का चुनाव उन्होंने स्वयं कर लिया है जो की साहित्यिक ना होकर सीधी और सरल है। पुस्तक का नाम बाल्कनी रखना बेहद प्रासंगिक है। एक अपार्टमेंट में एक जैसी बाल्कनियाँ होने के बावजूद, हर बाल्कनी की कहानी अलग है।
किसी बाल्कनी में सुकुमार का गिद्द बैठा है तो किसी में बूढ़ा तोमर। किसी बाल्कनी में मिथिला की ख़ूबसूरत पेंटिंग बनी है तो कोई बाल्कनी सुनी पड़ी है। एक बाल्कनी में तानपुरा रखा है जो अपने वादक के इंतज़ार में धूल से सना है, तो एक बाल्कनी में एक सांसारिकता और एक अध्यात्म साथ बैठे ज़िंदगी के मूल सवाल उठा, उनके उत्तर ढूँढने का प्रयत्न कर रहें हैं।
About the Author:
विवेक त्रिपाठी उर्फ मानस का जन्म 2 अक्टूबर 1983 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक मध्यम वर्ग परिवार में हुआ। इनकी माता शिक्षिका तथा पिता स्वास्थ विभाग में कार्यरत रहे। विवेक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बलिया से ही हासिल की है। इसके बाद उन्होंने बरकतुल्लाह विश्विद्यालय, भोपाल से मनोविज्ञान और दर्शन शास्त्र में गोल्ड मेडल के साथ अपना स्नातक पूरा किया।दर्शन शास्त्र में परास्नातक करने के लिए इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया। परास्नातक के दौरान ही विवेक, SBI (पहले SBBJ) बैंक पीओ की परीक्षा में सफल हुए।
अपनी चार साल की सहायक प्रबंधक के तौर पर सेवा के बाद विवेक ने बैंक से इस्तीफा दिया और सिनेमा का व्याकरण समझने के लिए AAFT, नोएडा से फिल्म निर्देशन में का कोर्स लिया।अब तक विवेक ने कई अवार्ड विनिंग शार्ट फिल्मों, डॉक्युमेंटरी और विज्ञापन का निर्देशन और लेखन किया। विवेक कुछ फीचर फिल्मों की स्क्रिप्ट पर भी काम कर रहे हैं।