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अंधेरों के साए में (Andheron ke Saye Mein)

★★★★★
Author | डॉ. अनु सोमयाजुला (Dr. Anu Somayajula) Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789390267934 Pages | 70
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About the Book:


स्वर्गीय जयशंकर प्रसाद का मानना था जीवन लालसाओं से बना हुआ सुंदर चित्र है। ऋग्वेद और अन्य ग्रंथों में कहीं पर चित्र को उत्कृष्ट, स्पष्ट, रंगीन, एवं आंखों पर प्रभाव डालने वाला कहा है तो कहीं 'आभास' (जिसका शाब्दिक अर्थ सादृश्य, चमकता हुआ है) कहा गया है। सामान्यतया किसी भी व्यक्ति या वस्तु की कागज, कपड़े, पत्थर, लकड़ी, शीशे आदि पर उकेरी हुई, प्रतिकृति को चित्र कहा जाता है। आज चित्र शब्द पेंटिंग और कैमेरे से खींची तस्वीर के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। चित्र का एक अर्थ आकाश भी है। आकाश यानी विस्तार, फैलाव – 'रंगों और रेखाओं के माध्यम से भावनाओं का फैलाव।'


भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक अन्य सशक्त माध्यम है 'शब्द।' प्रस्तुत संग्रह में चित्रों को शब्दों ने अनायास नया विस्तार, नए आयाम ही दिए हैं कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।


About the Author:


जन्म २१ नवंबर १९५०, गुजरात के बिलिमोरा शहर में हुआ। पिता सरकारी नौकरी में थे इसलिए प्रारंभिक वर्ष यायावरों की तरह शहर दर शहर बदलते बीते। हायस्कूल तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई, शायद साहित्य में रुचि पैदा होने का कारण यह भी रहा। नागपुर मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि, तत्पश्चात् मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर पदवी हासिल की। विभिन्न म्युनिसिपल एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न पदों पर कार्य करते सन् २००५ में स्वेच्छा से आवकाश ग्रहण किया। लिखने की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा।


सत्तर के दशक से अब तक नियमित या अनियमित रूप से कुछ न कुछ लिखा जाता रहा। लेखन मूलतः 'स्वांतः सुखाय' ही रहा। चार कविता संग्ह प्रकाशित - डायरी के पन्ने (अगस्त २०२०), सबरंग (जनवरी २०२१), बया का घर (अक्टूबर २०२१) और ताना-बाना (नवंबर २०२२).












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